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मंगलवार, जनवरी 22

कोहरा



                   

           कोहरे  में  ठिठुरती  ज़िंदगी , मिला  अलाव  का सहारा ,
            कभी   ठंड   के   साये  में, कभी   धूप   ने  पुकारा |

         
               छिटका  द्वेष  का  कोहरा,  प्रीत   का  हुआ  सवेरा, 
           खिली   मुहब्बत   की   धूप,दर्द  का  मुस्कुराया    चेहरा | 

          
           ज़िंदगी   की  गर्दिश  ने, हर   चेहरे   का  रुप   निखारा,
          किसी  पर सजा  दिये आँसू , किसी  को  प्रीत  से  निखारा |


              उनकी   मुहब्बत    ने   तरासा   वजूद    हमारा  , 
         वो  तन्हाइयों   में  छोड़   गये,  हम  ने  महफ़िल  में  पुकारा |

         
           खिलखिलाती  धूप,  फूलों   की  ख़ुशबू , आसमां   हमारा, 
           कोहरे  ने  समेटी   ज़िंदगी, तड़पते  दिल  ने   पुकारा |

                                      - अनीता सैनी 

          

16 टिप्‍पणियां:

  1. उनकी मोहब्बत ने तरासा वज़ूद हमारा ,
    वो तन्हाइयों में छोड़ गए, हम ने महफ़िल में पुकारा ,
    बहुत खूब प्रिय अनिता जी -- मौसम के कोहरे के बहाने मन का कोहरा भी साफ हो गया | हार्दिक शुभकामना के साथ बधाई |

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    उत्तर
    1. प्रिय सखी रेणु जी सस्नेह आभार आप का उत्साहवर्धन टिप्णी के लिए
      सादर आभार
      आप को बहुत सा स्नेह |
      सादर

      हटाएं
  2. उनकी मोहब्बत ने तरासा वज़ूद हमारा ,
    वो तन्हाइयों में छोड़ गए, हम ने महफ़िल में पुकारा ,..बहुत ही सुन्दर रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  3. खिलखिलाती धूप, फूलों की खुशबू , आसमां हमारा,
    कोहरे ने समेटी जिंदगी, तड़पते दिल ने पुकारा।
    सुन्दर रचना । बहुत-बहुत बधाई आदरणीय अनीता जी।

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    उत्तर
    1. आदरणीय पुरुषोत्तम जी सह्रदय आभार आप का
      उम्मीद है आप मार्गदर्शन करते रहेंगे
      आभार
      सादर

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. सह्रदय आभार आदरणीय रोहिताश जी
      आधार
      सादर

      हटाएं
  5. वाह बहुत सुंदर रचना 👌

    जवाब देंहटाएं
  6. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/01/106.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय राकेश जी - सह्रदय आभार आप का मित्र मंडली में मुझे स्थान देने हेतु |
      आभार
      सादर

      हटाएं
  7. जिंदगी की गर्दिश ने, हर चहरे का रुप निखारा,
    किसी पर सज़ा दिये आँसू , किसी को प्रीत से निखारा,

    बहुत खूब।

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