मुहब्बत का फ़रमान, अपनेपन का एहसास
समा लेता दर्द-ए-गम , जताता न कोई अहसान ।।
प्यार का अफ़साना, दर्दभरी कहानी
सहेज लेता दिल में, उसी की ज़ुबानी ।।
झूठ को बढ़ाता न सच को छिपाता,
दिल बहुत साफ़, जताकर देखो हर बात।
छूट जाते हर रिश्ते , दफ़्न हो जाते अरमान
डायरी का वह पन्ना, दोहराता वही पहचान ।
- अनीता सैनी
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