"उम्मीद "
आलम ही एसा बना कि,
तिनका-तिनका बिखर गये,
आँधी न तूफ़ान का अंदेशा,
कहाँ से भूचाल आ गया।
कुछ हवाओं संग हुए ,
बचे पानी में बह गया ।
हताश हुआ न निराश
बस देखता रह गया ।
तिनका-तिनका बिखर गये,
आँधी न तूफ़ान का अंदेशा,
कहाँ से भूचाल आ गया।
कुछ हवाओं संग हुए ,
बचे पानी में बह गया ।
हताश हुआ न निराश
बस देखता रह गया ।
कुछ दिन तरसा ,
बेहाल मन का हाल फिर दौड़ा,
बुनियाद इस क़दर ठोस की,
आलम देखो फिर न बरसा ।
निराशा ने दामन छोड़ा,
समय का घोड़ा फिर दौड़ा ।
बेहाल मन का हाल फिर दौड़ा,
बुनियाद इस क़दर ठोस की,
आलम देखो फिर न बरसा ।
निराशा ने दामन छोड़ा,
समय का घोड़ा फिर दौड़ा ।
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