बदलते देश की तस्वीर देखिये ।
हो रही प्रगति देश की ,
हर रोज एक नया बबाल देखिये ।
बेटियाँ हाथ का खिलौना बनी,
उन्नति की एक और मिसाल देखिये,
लाचारी का हथियार लिये घूम रहे,
यह भी एक आविष्कार देखिये ।
क़ानून बेचारा नाज़ुक रहा ,
न्याय तौलता हर बार फिरे,
अन्याय न हो, इसका भी ध्यान धरे,
यह एक खेल देखिये
कब तुली चीख़ बेटी की ,
क्या यह न उसको ध्यान रहा,
अँधा बन सबूत रहा खोज,
क्या यह न उसका अभिमान रहा,
अभिमानी की एक और मिसाल देखिये।
लाचार बाप बना क़ानून,
बच्चों को कब ख़ौफ़ रहा,
माँ न्याय की मूरत रही,
आँखों पर पट्टी,जैसा दिखा रहे,
वैसा देख रही,
मूरत ममता की, यह भी देखिये ।
जंगल रहा संगसार यह,
हर प्राणी जानवर,
मुखौटा सब का एक,
पहचान हो कैसे विपदा बड़ी नेक,
इस विपदा का भी कोई हल दीजिये ?
हो रही प्रगति देश की ,
हर रोज एक नया बबाल देखिये ।
बेटियाँ हाथ का खिलौना बनी,
उन्नति की एक और मिसाल देखिये,
लाचारी का हथियार लिये घूम रहे,
यह भी एक आविष्कार देखिये ।
क़ानून बेचारा नाज़ुक रहा ,
न्याय तौलता हर बार फिरे,
अन्याय न हो, इसका भी ध्यान धरे,
यह एक खेल देखिये
कब तुली चीख़ बेटी की ,
क्या यह न उसको ध्यान रहा,
अँधा बन सबूत रहा खोज,
क्या यह न उसका अभिमान रहा,
अभिमानी की एक और मिसाल देखिये।
लाचार बाप बना क़ानून,
बच्चों को कब ख़ौफ़ रहा,
माँ न्याय की मूरत रही,
आँखों पर पट्टी,जैसा दिखा रहे,
वैसा देख रही,
मूरत ममता की, यह भी देखिये ।
जंगल रहा संगसार यह,
हर प्राणी जानवर,
मुखौटा सब का एक,
पहचान हो कैसे विपदा बड़ी नेक,
इस विपदा का भी कोई हल दीजिये ?
कोई टिप्पणी नहीं:
टिप्पणी पोस्ट करें
anitasaini.poetry@gmail.com