निष्ठुर बाप
माँ करूणा का सागर
ठहर गयी मैं शब्दों पर
कैसे करु उजागर |
कलेजा तड़पता तो होगा,
संवेदना भी रही होगी ,
आँख से निकले होगे आँसू ,
आँखें ख़राब हैं बहाना भी बनाया होगा ,
एसे बाप को निष्ठुर किसने बनाया होगा |
सूकून से सोया न कभी,
मिलीं न सुख की छाँव,
दौड़ता रहा इधर-उधर,
संजोता रहा हर गम,
जुबां सुन, आँखें खुली रही होंगीं ,
देखने पर निष्ठुर,
परन्तु मर रहा होगा , हर दम |
माँ करूणा का सागर
ठहर गयी मैं शब्दों पर
कैसे करु उजागर |
कलेजा तड़पता तो होगा,
संवेदना भी रही होगी ,
आँख से निकले होगे आँसू ,
आँखें ख़राब हैं बहाना भी बनाया होगा ,
एसे बाप को निष्ठुर किसने बनाया होगा |
सूकून से सोया न कभी,
मिलीं न सुख की छाँव,
दौड़ता रहा इधर-उधर,
संजोता रहा हर गम,
जुबां सुन, आँखें खुली रही होंगीं ,
देखने पर निष्ठुर,
परन्तु मर रहा होगा , हर दम |
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