चंचल क़दम
रुहानी मुस्कान
शब्द सरस संलग्न
कर कमर इतराते
शिकायत जमीं पर
मनमोही मासूम
झिलमिल अदा
मंद-मंद मुस्काना
इठलाता यौवन
एक नज़र नज़राना
नज़रों का चुराना
मोह रही मन
दिलकश लजाना
खनक रहे गुमान के घुँघरु
लहरा रही गुरुर की चोटी
घर नहीं, देश संवार रही
हर घर से उठा रही कचरा
ख़ामोश रुह की रानी |
- अनीता सैनी
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