गर्द द्वेष की छिटकी, कोना मन का महका
दीप उम्मीद, बत्ती प्रेम प्रज्वलित,
प्रेम पूजा, मानवता का ध्यान किया,
साथी बन घर-द्वार, रूप प्रेम का चहका |
ख़ुशियाँ झालर, मन के मोती सजा दिये,
मायूसी को साफ़ किया, इंतज़ार में आँखें टाँग दिये ,
क्षण के फूल न्यौछावर ,धड़कन का दीप जला दिया,
साँसें सरगंम ,फ़ज़ा ने संगीत गुनगुना दिया |
झूम उठी ख़ामोशी, हवाओं ने संदेश दिया ,
चौखट ने दीदार किया, आँगन ने रुप श्रृंगार,
कोना -कोना बतिया उठा, गुम हुई ख़ामोशी,
ख़ुशियाँ चौखट पार उतरीं , आओ प्रेम दीप जलायें |
-अनीता सैनी
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