निशा निश्छल मुस्कुराये प्रीत से,
विदा हुई जब भोर से।
तन्मय आँचल फैलाये प्रीत का ,
पवन के हल्के झौकों से।
कोयल ने मीठी कूक भरी,
जब निशा मिली थी भोर से।
ऊषा स्नेह में डूब गई,
जब बरसी बदरी धूर की।
प्रीत धरा की मुग्ध हुई ,
कुसुमों ने ताज सजाया है।
गूँज रही पायल प्रीत की ,
शिशिर के नंगे पाँव की।
सिहर उठा जनमानस भी ,
शिशिर की शीतल छाँव से।
#अनीता सैनी
#अनीता सैनी
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