उत्सुक वेदना,प्रेम भाव-अभाव
वेग ह्रदय में चिरकालिन
प्रीत विमुख, हुआ उद्वेग
स्मृति जड़ता जीवन की
जड़ में राग अनुराग
ह्रदय में फैला विपुल भाव
उत्सुक नयन, ह्रदय हुआ बैचैन
कल्पित प्रतिमा प्रिय की
स्मृति-साथी, चिरकाल
कल्पित सुख, मनभावन
आकांक्षित हृदय, साँसें विचलित
शृंगार सागर -तरंग
स्मृति जड़ता जीवन की चिरसंचित प्रेम भाव-अभाव |
- अनीता सैनी
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