नवल धरा के उपवन को,
ऋतुओं ने हर बार सजाया,
महक प्रीत की महकी,
पक्षियों ने मधुर गान सुनाया |
रचा ऐसा संसार विधाता,
उस क़लम के दरश करा दे,
लिखा उद्गार मानव हृदय का,
अपने हृदय का मरहम बता दे |
कर्म काया के साथी सुख-दुःख,
बहा करुण नयनों से नीर,
प्रेम भाव से सींचे मन को,
जली प्रिय प्रीत में पीर |
अंतर्वेदना चित की सारी,
कल्पनाओं का सजा जीवन काल,
खेल विधाता खेला ऐसा,
मोह-माया का गूँथा जाल|
भाग्य-विधाता भाग्य बदल दे,
अन्नदाता का जीवन ख़ुशियों से भर दे,
दीन-दुखियों का दर्द मिटा दे,
महके जीवन , हृदय में ऐसा दीप जला दे|
- अनीता सैनी
कल्पनाओं का सजा जीवन काल,
खेल विधाता खेला ऐसा,
मोह-माया का गूँथा जाल|
भाग्य-विधाता भाग्य बदल दे,
अन्नदाता का जीवन ख़ुशियों से भर दे,
दीन-दुखियों का दर्द मिटा दे,
महके जीवन , हृदय में ऐसा दीप जला दे|
- अनीता सैनी
बेहतरीन रचना सखी 👌👌
जवाब देंहटाएंतहे दिल से आभार प्रिय सखी
हटाएंसादर
अंतर्वेदना चित की सारी
जवाब देंहटाएंकल्पनाओं का सजा जीवन काल
खेल विधाता खेला ऐसा
बिछा मोह माया का जाल
जिसने मोह दिया, उसे ही वह कर दे, इसे समर्पण..
सुंदर भावपूर्ण, प्रणाम
सहृदय आभार शशि भाई
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भाग्य विधाता भाग्य बदल दे
जवाब देंहटाएंअन्नदाता का जीवन खुशियों से भर दे
दीन दुखियों का दर्द मिटा दे
महके जीवन , हृदय में ऐसा दीप जला दे
बहुत सुंदर.... . सखी
सस्नेह आभार प्रिय कामिनी बहन
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सर्वे भवन्तु सुखिनः की विराट कामना एवं संसार की भलाई के लिये प्रार्थना उत्तम विचार।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय
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अति उत्तम। बेहतरीन सृजन मैम।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय
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लाज़बाब सृजन
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय दी जी
हटाएंसादर
अति उत्तम
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय उर्मिला दी जी
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अंतर के शुभ्रतम भावों से महकती सुंदर सरस प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंतहे दिल से आभार प्रिय कुसुम दी जी
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (29-05-2019) को "बन्दनवार सजाना होगा" (चर्चा अंक- 3350) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय चर्चा में स्थान देने के लिए
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वाह!!बहुत सुंदर रचना ,सखी अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंसबका मंगल होय रे.......।
सस्नेह आभार प्रिय सखी शुभा जी
हटाएंसादर स्नेह
सुंदर भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार आदरणीय
हटाएंसादर स्नेह
आमीन.
जवाब देंहटाएंआमीन....|प्रिय नूपुर जी
हटाएंसादर स्नेह