जाने क्यों अकुलाई मैं ?
चेतना चित की चहक उठी ,
जाने क्यों शरमाई मैं ?
चेतना चित की चहक उठी ,
जाने क्यों शरमाई मैं ?
सुघड़ भाव बँधे आँचल से,
लगी प्रीत की गाँठ,
कैसे सजन सम्भालूँ मन को ?
मन सिसके पहर आठ |
पी प्रीत में हारी मन को,
समझो मन की बात,
सुबह-शाम मन बींधे मन को,
उलाहना देती रात |
लाज-शर्म में डूब गया मन,
हुई न चौखट पार,
बढ़ते क़दमों को रोक रहा मन,
खुले न मन की गाँठ |
जीवन पथ पर हार गया मन ,
थामों मन का हाथ,
जरा-जरा सी बातों पर न रुठो,
न छोड़ो मन का साथ |
- अनीता सैनी
लगी प्रीत की गाँठ,
कैसे सजन सम्भालूँ मन को ?
मन सिसके पहर आठ |
पी प्रीत में हारी मन को,
समझो मन की बात,
सुबह-शाम मन बींधे मन को,
उलाहना देती रात |
लाज-शर्म में डूब गया मन,
हुई न चौखट पार,
बढ़ते क़दमों को रोक रहा मन,
खुले न मन की गाँठ |
जीवन पथ पर हार गया मन ,
थामों मन का हाथ,
जरा-जरा सी बातों पर न रुठो,
न छोड़ो मन का साथ |
- अनीता सैनी
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (24-07-2019) को "नदारत है बारिश" (चर्चा अंक- 3406) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए
हटाएंसादर
सुघड़ भाव बँधे आँचल से,
जवाब देंहटाएंलगी प्रीत की गाँठ,
कैसे सजन सम्भालूँ मन को ?
मन सिसके पहर आठ |
बहुत खूब
सहृदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
वाह बहुत सुंदरर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर
हटाएंसुघड़ भाव बँधे आँचल से,
जवाब देंहटाएंलगी प्रीत की गाँठ,
कैसे सजन सम्भालूँ मन को ?
मन सिसके पहर आठ |
बहुत खूब प्रिय अनीता 👌👌👌👌👌💐💐💐
शुक्रिया दी जी
हटाएंसादर स्नेह