चंचल प्रीत मन के कोने से निकल
शब्दों के कोरे कोर पर जा बैठी
मृदुल वेग वादा समर्पण सब सो गए कहीं
अनुत्तरित प्रश्न कहता! प्रीत खो गई कहीं।
चीख़ता-चिल्लाता पुकारता मानव
देखो! अंतस के किवाड़ नहीं खोलता
स्वयं में छिपा अनुराग दम तोड़ता आज
निर्दयी कहता! प्रीत खो गई कहीं।
करुणा की बहन है इसलिए सो गई
चित्त के गोदाम में जगह नहीं बिक गई
जीवन की आपा-धापी से थक गई कहीं
अहंकार हत्यारा कहता! प्रीत खो गई कहीं।
समय से पिछड़ी तब महत्त्वाकाँक्षा ने दाग़ी
भावों का अभाव विवेक ने न लाज रखी
ज़िंदगी के ज्वर से जूझती ज़िंदा है कहीं
संयम सहारा कहता! प्रीत खो गई कहीं।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
वाह 🌻
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया अनुज मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
बहुत सुन्दर और भावप्रवण रचना।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
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आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24.9.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
सादर आभार आदरणीय सर चर्चामंच पर स्थान देने हेतु।
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अति सुंदर रचा है ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आपका उत्साहवर्धन हेतु।
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बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना..🙏
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आदरणीय दी मनोबल बढ़ाने हेतु ।
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जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार २५ सितंबर २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत बहुत शुक्रिया श्वेता जी पाँच लिंकों पर स्थान देने हेतु ।
हटाएंभावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सर मनोबल बढ़ाने हेतु।
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समय से पिछड़ी तब महत्त्वाकाँक्षा ने दाग़ी
जवाब देंहटाएंभावों का अभाव विवेक ने न लाज रखी
ज़िंदगी के ज्वर से जूझती ज़िंदा ,,,।बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना, आदरणीया शुभकामनाएँ ।
सादर आभार आदरणीय दी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
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अद्धभुत लेखन
जवाब देंहटाएंतहे दिल से आभार आदरणीय दी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
ज़िंदगी के ज्वर से जूझती ज़िंदा है कहीं
जवाब देंहटाएंसंयम सहारा कहता! प्रीत खो गई कहीं।
अत्यंत सुन्दर और भावपूर्ण... अनुपम सृजन ।
तहे दिल से आभार आदरणीय मीना दी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
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बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
मृदुल वेग वादा समर्पण सब सो गए कहीं
जवाब देंहटाएंअनुत्तरित प्रश्न कहता! प्रीत खो गई कहीं।
वाह!!!
बहुत ही सुन्दर सटीक एवं लाजवाब सृजन।
हार्दिक आभार आदरणीय सुधा दी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंअत्यंत मार्मिक
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाने हेतु।
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसादर आभार अनुज ब्लॉग पर स्वागत है आप का ..
हटाएंमृदुल वेग वादा समर्पण सब सो गए कहीं
जवाब देंहटाएंअनुत्तरित प्रश्न कहता! प्रीत खो गई कहीं।
जीवन की आपाधापी के बीच इंसान की मृदुल भावनाओं का क्षय होने की प्रक्रिया प्रबुद्ध कविजनों से कभी छुप नहीं पाती | सुंदर, सार्थक लेखन | सस्नेह
तहे दिल से आभार प्रिय रेणु दी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
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