रविवार, दिसंबर 6

बहुत बुरा लगता है


अनदिखे में तुम्हारे होने का आभास

दिल को इतना भी बुरा नहीं लगता 

बुरा नहीं लगता इंतज़ार के दरमियाँ

पनपने वाले प्रेम को पोषित करना।


बुरा नहीं लगता शब्दों के सागर में 

भावनाओं के ज्वार-भाटे का उतार-चढ़ाव 

बुरा नहीं लगता पैरों को भिगोती लहर का 

किनारे पर आकर लौट जाना।


बुरा नहीं लगता उतावलेपन में झाँकती  

ज़माने की ऐंठन भरी उलाहना से 

कभी-कभी खटकता है समय का 

स्मृतियों के सिरहाने बैठ सहलाना।


बुरा नहीं लगता हवा की आहट से

विचलित धड़कनों को सुलाना 

परंतु बहुत बुरा लगता है तुम्हारे द्वारा 

पुकारे जाने की आवाज़ को अनसुना करना।


@अनीता सैनी 'दीप्ति' 

36 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 07 दिसम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय दी पाँच लिंकों पर स्थान देने हेतु।
      सादर

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  2. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा सोमवार ( 07-12-2020) को "वसुधा के अंचल पर" (चर्चा अंक- 3908) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।

    "मीना भारद्वाज"

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मीना दी चर्चामंच पर स्थान देने हेतु।
      सादर

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  3. बहुत बुरा लगता है तुम्हारे द्वारा
    पुकारे जाने की आवाज़ को अनसुना करना

    –सच...

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  4. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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  5. बुरा नहीं लगता हवा की आहट से
    विचलित धड़कनों को सुलाना
    परंतु बहुत बुरा लगता है तुम्हारे द्वारा
    पुकारे जाने की आवाज़ को अनसुना करना...

    बहुत सुंदर हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति 🙏🌹🙏

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  6. बुरा नहीं लगता उतावलेपन में झाँकती

    ज़माने की ऐंठन भरी उलाहना से

    कभी-कभी खटकता है समय का

    स्मृतियों के सिरहाने बैठ सहलाना।
    ...।भावनाओं से ओतप्रोत सुंदर अभिव्यक्ति...।

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  7. वाहहहहहह बहूत सुन्दर

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  8. अनदिखे में तुम्हारे होने का आभास

    दिल को इतना भी बुरा नहीं लगता

    बुरा नहीं लगता इंतज़ार के दरमियाँ

    पनपने वाले प्रेम को पोषित करना। सभी पंक्तियाँ ख़ूबसूरत हैं - - एक सुन्दर प्रवाह है आपकी लेखन में, अद्वितीय मुग्धता।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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  9. वाह!प्रिय अनीता ,सुंदर भावाभिव्यक्ति ।

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  10. मेरे ब्लॉग ग़ज़लयात्रा पर आपका स्वागत है। इसमें आप भी शामिल हैं-

    http://ghazalyatra.blogspot.com/2020/12/blog-post.html?m=1
    किसान | अन्नदाता | ग़ज़ल | शायरी
    ग़ज़लों के आईने में किसान
    सादर,
    - डॉ. वर्षा सिंह

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय दी मैं अवश्य आऊँगी।
      सादर

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  11. बहुत खूब
    पाश की सुप्रसिद्ध कविता सबसे खतरनाक की शैली की कविता हालांकि इसका विषय प्रेम है

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  12. बहुत खूब
    पाश की सुप्रसिद्ध कविता सबसे खतरनाक की शैली की कविता हालांकि इसका विषय प्रेम है

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  13. बहुत खूब
    पाश की सुप्रसिद्ध कविता सबसे खतरनाक की शैली की कविता हालांकि इसका विषय प्रेम है

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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  14. विचलित धड़कनों को सुलाना
    परंतु बहुत बुरा लगता है तुम्हारे द्वारा
    पुकारे जाने की आवाज़ को अनसुना करना।
    वाह!!!
    क्या बात.....
    बहुत ही सुन्दर...।

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