बुधवार, सितंबर 1

उस रोज़



 उस रोज़ 

घने कोहरे में

भोर की बेला में

सूरज से पहले

तुम से मिलने 

 आई थी मैं

लैंप पोस्ट के नीचे

तुम्हारे इंतज़ार में

घंटो बैठी रही 

एहसास का गुलदस्ता

दिल में छिपाए 

पहनी थी उमंग की जैकेट

विश्वास का मफलर

गले की गर्माहट  बना 

कुछ बेचैनी बाँटना

चाहती थी तुमसे

तुम नहीं आए 

रश्मियों ने कहा तुम

निकल चुके हो

 अनजान सफ़र पर।


@अनीता सैनी 'दीप्ति'

32 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार (03-09-2021) को "बैसाखी पर चलते लोग" (चर्चा अंक- 4176) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद सहित।

    "मीना भारद्वाज"

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    1. आभारी हूँ आदरणीय मीना दी मंच पर स्थान देने हेतु
      सादर

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  2. रश्मियों ने कहा तुम

    निकल चुके हो

    अनजान सफ़र पर।
    सुंदर पंक्तियाँ,

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  3. बहुत हृदय स्पर्शी! कुछ अलग सा एहसास।
    सुंदर सृजन।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय कुसुम दी।
      सादर

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ३ सितंबर २०२१ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय दी मंच पर स्थान देने हेतु।
      सादर

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  5. बहुत खूबसूरत एहसास।

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  6. रश्मियों ने कहा तुम निकल चुके हो..
    हृदयस्पर्शी।

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  7. कुछ बेचैनी बाँटना
    चाहती थी तुमसे
    तुम नहीं आए
    रश्मियों ने कहा तुम
    निकल चुके हो
    अनजान सफ़र पर।
    ओह!!!
    बहुत ही टीस और चुभन भरा इंतजार...
    बैचेनियाँ बाँटने की जगह और भी समेटनी पड़ी
    बहुत ही हृदयस्पर्शी मार्मिक सृजन।

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  8. ओह , ये अनजान सफर सारी उम्मीद पर तुषारापात कर देता है ।।
    मार्मिक अभिव्यक्ति ।

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    1. आभारी हूँ आदरणीय संगीता दी जी।
      सादर

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  9. अहसासों का सुंदर सृजन । बहुत बधाइयाँ ।

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  10. जो अनजान सफ़र पर बिना बताए चला जाता है वो साथ में हमारा बहुत कुछ लिए जाता है । हमारे पास बस आह ही रह जाती है ।

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    1. सही कहा आदरणीय अमृता दी जी।
      आभारी हूँ।
      सादर

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  11. बेहद हृदयस्पर्शी सृजन।

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  12. बहुत मार्मिक !
    एक प्रेम कहानी जो अधूरी ही रह गयी !

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    1. आभारी हूँ सर।
      आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर प्रणाम

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  13. 'रश्मियों ने कहा तुम

    निकल चुके हो

    अनजान सफ़र पर।' ... बहुत ही सुन्दर लिख गई हैं आ.अनीता जी आप! आपकी इस कविता ने बहुत प्रभावित किया।

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    उत्तर
    1. आभारी हूँ आदरणीय सर।
      आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर प्रणाम

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  14. उत्तर
    1. सादर नमस्कार सर।
      आभारी हूँ।
      आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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