tag:blogger.com,1999:blog-3984492285377287745.post533504124720821893..comments2024-03-12T22:12:22.923+05:30Comments on गूँगी गुड़िया : दास्तां पिता की अनीता सैनी http://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-3984492285377287745.post-5065255746528352142019-03-24T06:59:56.064+05:302019-03-24T06:59:56.064+05:30तमाम ख़्वाहिशें सीने में दफ़न किये बैठा
न जा...तमाम ख़्वाहिशें सीने में दफ़न किये बैठा<br />न जाने क्यों वो अरमान जलाये बैठा ?<br /><br />आज को गुमराह कर कल को महफ़ूज किये बैठा<br />दिल जला शमा बुझाये बैठा<br /><br /> गणित जिंदगी की दोहराता रहा चारों पहर<br />उसके आकङे फरेबी नहीं यही वो विचार<br /><br />न जाने कब तू दरवाजे पर दस्तक दे<br />इसी बहाने कुंडी हटाये बैठा<br /><br />बातें करता तेरे जाने पर सुकून से जीने की<br />यादों को सीने से लगा, अश्क़ों में डूबा बैठा<br /><br />उसके फलसफ़े का कारण भी यहीं<br />कि वो जिंदगी से ज्यादा तुझसे मुहब्बत कर बैठा |....<br />एक पिता के दर्द को खूब आपने इस रचना में अपने सब्दों में पिरोया है। <br />बेहतरीन जी।मुकेश सैनीhttps://www.blogger.com/profile/08309665169654529551noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3984492285377287745.post-7257333559705886512019-03-23T23:21:24.719+05:302019-03-23T23:21:24.719+05:30मेरा दर्द लिख दिया आपने तो बिटिया अनिता मुकेश सैनी...मेरा दर्द लिख दिया आपने तो बिटिया अनिता मुकेश सैनीhttps://www.kavibhyankar.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/02663945842607350683noreply@blogger.com