बन मधुवन की लाली,
मदिर प्रेम में डूबा मन,
नयन बने शरबत की प्याली |
मानस हृदय की वेदी पर,
विराजित करुण स्वभाव,
सुख-दुःख की सीमा बन बैठे,
खोले मन के कोमल भाव |
सजा रही थी पलकों पर,
वह नीर गगन में छलका,
ऊषा की निर्मल किरणों-सा,
वह प्रेम नयनों में झलका |
बैठ हृदय में, उलझ रही,
मासूम स्मृति रेखा,
पल-पल झाँक रही नयनों से,
विचलित प्रीत को देखा |
पीड़ा नयनों में सूख गयी,
जब उर में पड़ा था सूखा,
घूम रही करुण कटाक्ष,
जब प्रेम पराग का रुखा |
- अनीता सैनी
बहुत बहुत सुंदर भावों का मंदिर गति प्रवाह।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम ।
तहे दिल से आभार कुसुम दी आप का
हटाएंसस्नेह
सादर
अप्रतिम सृजन सखी !
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय सखी मीना जी
हटाएंसादर
वाह!!सखी ,बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंप्रिय सखी सुभा जी तहे दिल से आभार आप का
हटाएंसादर
बहुत सुंदर रचना सखी
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (29-03-2019) को दोहे "पनप रहा षडयन्त्र" (चर्चा अंक-3289) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय चर्चा में स्थान देने के लिए
हटाएंसादर
मानस हृदय की वेदी पर
जवाब देंहटाएंविराजित करुण स्वभाव
दु:ख सुख की सीमा बन बैठे
खोले मन के कोमल भाव
बहुत ही सुन्दर.... बहुत ही लाजवाब रचना वाह!!!
प्रिय सखी सुधा जी तहे दिल से आभार आप का उत्साहवर्धन
हटाएंके लिए |
सस्नेह
सादर
सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय
जवाब देंहटाएंसादर
sundar prastuti
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय उत्साहवर्धन टिप्णी के लिए
हटाएंसादर
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
१ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सस्नेह आभार आदरणीया श्वेता जी हम क़दम में मुझे स्थान देने के लिए
हटाएंसादर
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार आदरणीया उत्साहवर्धन हेतु
हटाएंसादर
बहुत बढ़िया प्रेम रस की कविता।
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट : Intzaar और आचार संहिता।
iwillrocknow.com
सहृदय आभर आदरणीय
हटाएंसादर
भावनाओं के सागर में जैसे मन गोते लगा रहा है ...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना है ...
सहृदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
बहुत सुंदर और भावमय गीत..
जवाब देंहटाएंप्रणाम आदरणीय
हटाएंसहृदय आभार आप का
सादर
बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना...।
जवाब देंहटाएंप्रिय सखी सुधा जी तहे दिल से आभार आपका
हटाएंसादर
बैठ हृदय में, उलझ रही
जवाब देंहटाएंमासूम स्मृति रेखा
पल-पल झांक रही नयनों से
विचलित प्रीत को देखा
सुन्दर प्रस्तुति ल
सस्नेह आभार प्रिय मुकेश जी
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