गूँगी गुड़िया
अनीता सैनी
रविवार, जनवरी 19
अधूरे सत्य की पूर्णता
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अधूरे सत्य की पूर्णता / अनीता सैनी १८जनवरी २०२५ ...... "स्त्री अधूरेपन में पूर्ण लगती है।" इस वाक्य का विचारों में बनत...
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सोमवार, जनवरी 13
बालिका वधू
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बालिका वधू / अनीता सैनी ११जनवरी २०२५ …… बालिका वधू— एक पात्र नहीं है, ना ही सफेद पंखों वाली मासूम परी है। जिसके पंख काट दिए जाते...
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रविवार, जनवरी 5
बुकमार्क
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बुकमार्क / अनीता सैनी ३जनवरी २०२५ …… पुस्तक — प्रभावहीन शीर्षक, आवरण, तटों को लाँघती नदी, फटा जिल्द, शब्दों में उभर-उभरकर आता ऋ...
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सोमवार, दिसंबर 30
पथ की पुकार
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पथ की पुकार / अनीता सैनी २८दिसंबर२०२४ … तुम कभी मत कहना कि संयुक्त परिवार टूट रहे हैं, पुश्तैनी घर ढह रहे हैं। जर्जर होते दरवाज...
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शनिवार, दिसंबर 21
अवश स्वप्न
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अवश स्वप्न / अनीता सैनी २१ दिसम्बर २०२४ ….. वेदना दलदल है जो अमिट भूख लिए पैदा होती है। बहुत पहले यह कृत्रिम रूप से गढ़ी जाती है...
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रविवार, दिसंबर 15
टूटे सपनों का सिपाही
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टूटे सपनों का सिपाही / अनीता सैनी १०दिसम्बर२०२४ …. न देश है, न कोई दुनिया, न सीमा है, न ही कोई सैनिक। कोई किसी का नागरिक नहीं, न...
मंगलवार, नवंबर 26
छांव में छिपे रंग
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छांव में छिपे रंग / अनीता सैनी २४नवंबर २०२४ …. एक दिन तुम गहरी नींद से जागोगे और पाओगे मिथ्या, कल्पना जैसा कुछ नहीं होता, जो स...
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रविवार, नवंबर 17
हिज्र के साए
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हिज्र के साए/ अनीता सैनी १६ नवंबर २०२४ एक दिन पर्वतों की पीड़ा धोने अंबर ने बरसाया था हिज्र का नमक। खपरैल टूटी थी समंदर की, वे च...
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गुरुवार, नवंबर 14
अवसान के निशान
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अवसान के निशान / अनीता सैनी ९नवंबर २०२४ ….. जैसे-जैसे उम्र का सिरहाना लेकर काया सोती है, असल में तब वह जागती है। तब वह कविताएँ ...
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