गूँगी गुड़िया
अनीता सैनी
शनिवार, जुलाई 12
धूल में छिपा समंदर
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धूल में छिपा समंदर/ अनीता सैनी ११ जुलाई २०२५ ….. सब कोई कुछ न कुछ जानते हैं। कोई पहाड़ जानता है, कोई नदी। कुछ-कुछ लोग तो मरुस्थल...
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सोमवार, जून 30
छलावा
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छलावा / अनीता सैनी २८जून २०२५ ….. प्रत्येक स्त्री जानती है — हर दूसरी स्त्री की पीठ पर जन्मजात एक छलावा बैठा होता है। फिर भी, न ...
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शुक्रवार, जून 20
दरकन
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दरकन …… कविता / अनीता सैनी १७ जून २०२५ आओ! कुछ देर बैठो!! दिखाऊँ तुम्हें एक टूटा हुआ आदमी — हौसले को रफ़ू करता हुआ। अभावग्रस्त —...
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गुरुवार, जून 19
मीरा — एक अंतरध्वनि
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मीरा — एक अंतरध्वनि कविता / अनीता सैनी १७ जून २०२५ .... अंतः स्वर ध्वनि और दृश्य का एक गहरा द्वंद्व है। धरती के गर्भ से फूट...
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रविवार, जून 1
कोख से कंठ तक
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कोख से कंठ तक / अनीता सैनी ३०मई २०२५ …. भ्रम के बादल भाव रचते हैं आत्मा की गीली मिट्टी में — प्रेम के अंखुए फूटते हैं। तुमने दे...
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बुधवार, अप्रैल 23
स्मृति के छोर पर
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स्मृति के छोर पर / अनीता सैनी २२ अप्रैल २०२५ …. अपने अस्तित्व से मुँह फेरने वाला व्यक्ति, उस दिन एक बार फिर जीवित हो उठता है, जब...
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शनिवार, अप्रैल 19
नीरव सौंदर्य
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नीरव सौंदर्य / अनीता सैनी १८अप्रैल २०२५ …. आश्वस्त करती अनिश्चितताएँ जानती हैं! घाटियों में आशंकाएँ नहीं पनपतीं; वहाँ मिथ्या की ...
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सोमवार, अप्रैल 14
प्रतीक्षा का अंतिम अक्षर
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प्रतीक्षा का अंतिम अक्षर / अनीता सैनी १४अप्रेल २०२५ …… और एक दिन उसके जाने के बाद उसकी लिखी वसीयत खँगाली गई। कमाई — धैर्य और प्र...
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मंगलवार, मार्च 25
तुम कह देना
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तुम कह देना / अनीता सैनी २२ मार्च २०२५ ….. एक गौरैया थी, जो उड़ गई, एक मनुष्य था, वह खो गया। तुम तो कह देना इस बार, कुछ भी ...
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