गूँगी गुड़िया
अनीता सैनी
रविवार, नवंबर 16
नदी का छिपा हुआ दीप
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नदी का छिपा हुआ दीप (मौन की गहराई में जन्म लेता उजास) ✍️ अनीता सैनी .... मेरी हर सुबह मेरे पुरखों की हड्डियों में सोया उजास लेकर...
रविवार, नवंबर 2
रेत भी प्रेम में उतरती है
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रेत भी प्रेम में उतरती है ✍️ अनीता सैनी ……… रेत — बहुत धीरे-धीरे बहती है, जैसे मरुस्थल ने पानी की स्मृति को कंठ में रोक लिया हो।...
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बुधवार, अक्टूबर 22
जड़ में जीवन है
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जड़ में जीवन है (विरह के पार — आत्मा का शोर) ✍️ अनीता सैनी --- तुम मन की माया के सारे खेल खेलना, जब भी मन करे — तुम प्रेम के दरि...
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रविवार, अक्टूबर 12
शैवाल से शिला तक
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शैवाल से शिला तक ✍️ अनीता सैनी — वह समय — जो कभी नहीं लौटता, जिसका अब जीवन में कोई औचित्य नहीं, वही सबसे अधिक बुलावा भेजता है; क...
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गुरुवार, अक्टूबर 9
मौन का शास्त्र
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मौन का शास्त्र ✍️ अनीता सैनी स्त्री— आँचल में सूरज की तपिश छिपा लेती है, ओस की बूँदों से चाँद को पोंछ देती है। पग-पग पर शांति के पदच...
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गुरुवार, अक्टूबर 2
सूखा कुआँ
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सूखा कुआँ ✍️ अनीता सैनी ….. जीवन के सारे जतन धरे के धरे रह जाते हैं, जब कोई उस कुएँ की जगत पर बैठता है जहाँ अब पानी नहीं खिंचता—...
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शुक्रवार, सितंबर 26
चेतना का मानचित्र
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चेतना का मानचित्र ✍️ अनीता सैनी ….. इस मार्ग पर चेतना का कोई मानचित्र नहीं है। जहाँ पहुँचकर उसे सूखने से बचाया जा सके— वे पगडंडि...
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शनिवार, सितंबर 20
प्रतीक्षा में खड़ी हूँ
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प्रतीक्षा में खड़ी हूँ ✍️ अनीता सैनी ….. अब और लड़ाई लड़ने का मन नहीं करता, फिर भी मैं तेरे लिए यह राह बुहार रही हूँ— ताकि त...
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रविवार, सितंबर 14
नमी की आवाज़
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नमी की आवाज़ ✍️ अनीता सैनी दुपहर अब भी दूरियों को खुरचती है, बादलों ने करवट नहीं बदली— फिर भी बरसात उतर आती है। वे पगडंडियाँ जंग...
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