गूँगी गुड़िया
अनीता सैनी
बुधवार, अप्रैल 23
स्मृति के छोर पर
›
स्मृति के छोर पर / अनीता सैनी २२ अप्रैल २०२५ …. अपने अस्तित्व से मुँह फेरने वाला व्यक्ति, उस दिन एक बार फिर जीवित हो उठता है, जब...
4 टिप्पणियां:
शनिवार, अप्रैल 19
नीरव सौंदर्य
›
नीरव सौंदर्य / अनीता सैनी १८अप्रैल २०२५ …. आश्वस्त करती अनिश्चितताएँ जानती हैं! घाटियों में आशंकाएँ नहीं पनपतीं; वहाँ मिथ्या की ...
2 टिप्पणियां:
सोमवार, अप्रैल 14
प्रतीक्षा का अंतिम अक्षर
›
प्रतीक्षा का अंतिम अक्षर / अनीता सैनी १४अप्रेल २०२५ …… और एक दिन उसके जाने के बाद उसकी लिखी वसीयत खँगाली गई। कमाई — धैर्य और प्र...
6 टिप्पणियां:
मंगलवार, मार्च 25
तुम कह देना
›
तुम कह देना / अनीता सैनी २२ मार्च २०२५ ….. एक गौरैया थी, जो उड़ गई, एक मनुष्य था, वह खो गया। तुम तो कह देना इस बार, कुछ भी ...
5 टिप्पणियां:
सोमवार, मार्च 24
कविता
›
कविता- माथे पर लगी न धुलने वाली कालिख नहीं है, और न ही आत्मा का अधजला टुकड़ा है। वह सूखी आँखों से बहता पानी है — कभी न पूरी होने...
4 टिप्पणियां:
सोमवार, फ़रवरी 17
निराशा का आत्मलाप
›
निराशा का आत्मलाप / अनीता सैनी १६फरवरी २०२४ …. उबलता डर मेरी नसों में अब भी सांसों की गति से तेज़ दौड़ रहा है, जो कई रंगों में र...
6 टिप्पणियां:
रविवार, जनवरी 19
अधूरे सत्य की पूर्णता
›
अधूरे सत्य की पूर्णता / अनीता सैनी १८जनवरी २०२५ ...... "स्त्री अधूरेपन में पूर्ण लगती है।" इस वाक्य का विचारों में बनत...
4 टिप्पणियां:
सोमवार, जनवरी 13
बालिका वधू
›
बालिका वधू / अनीता सैनी ११जनवरी २०२५ …… बालिका वधू— एक पात्र नहीं है, ना ही सफेद पंखों वाली मासूम परी है। जिसके पंख काट दिए जाते...
4 टिप्पणियां:
रविवार, जनवरी 5
बुकमार्क
›
बुकमार्क / अनीता सैनी ३जनवरी २०२५ …… पुस्तक — प्रभावहीन शीर्षक, आवरण, तटों को लाँघती नदी, फटा जिल्द, शब्दों में उभर-उभरकर आता ऋ...
3 टिप्पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें