गूँगी गुड़िया
अनीता सैनी
गुरुवार, अप्रैल 18
खँडहर
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चलन को पता है समय की गोद में तपी औरतें चूड़ी बिछिया पायल टूटने से खँडहर नहीं बनती उन्हें खँडहर बनाया जाता है चलन का जूते-चप...
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शनिवार, अप्रैल 6
उदासियाँ
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उदासियाँ / अनीता सैनी ५अप्रेल२०२४ …. मरुस्थल से कहो कि वह किसके फ़िराक़ में है? आज-कल बुझा-बुझा-सा रहता है? जलाती हैं साँसें भ...
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रविवार, मार्च 31
पाती
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पाती / अनीता सैनी ३०मार्च २०२४ …… उस दिन पथ ने पथिक को पाती लिखी बेमानी लिखी न झूठ सावन-भादो के गरजते बादल सुबह की गुनगुनी...
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शुक्रवार, मार्च 1
खरोंच
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खरोंच / कविता / अनीता सैनी ……. हम दोनों ने उदय होते सूरज को प्रणाम किया दुपहरी होते-होते वहाँ से निकल गए हमारा चले आना उनके लि...
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रविवार, फ़रवरी 25
प्रेम
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प्रेम का संकेत मिलते ही अनुगामी बन जाओ उसका हालाँकि उसके रास्ते कठिन और दुर्गम हैं और जब उसकी बाँहें घेरें तुम्हें समर्पण कर दो ...
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रविवार, फ़रवरी 18
युद्ध
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युद्ध / अनीता सैनी ….. तुम्हें पता है! साहित्य की भूमि पर लड़े जाने वाले युद्ध आसान नहीं होते वैसे ही आसान नहीं होता यहाँ से ल...
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रविवार, फ़रवरी 11
धोरों का सूखता पानी
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धोरों का सूखता पानी / कविता / अनीता सैनी …. उस दिन उसके घर का दीपक नहीं सूरज का एक कोर टूटा था जो ढिबरी वर्षों से आले में संभाल...
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मंगलवार, फ़रवरी 6
पीड़ा
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पीड़ा / कविता / अनीता सैनी ६फरवरी २०२४ …… उन दिनों घना कुहासा हो या घनी काली रात वे मौन में छुपे शब्द पढ़ लेते थे दिन का कोलाहल ...
शनिवार, जनवरी 27
सुनो तो
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सुनो तो / अनीता सैनी २६जनवरी २०२४ ….. देखो तो! कविताएँ सलामत हैं? मरुस्थल मौन है मुद्दोंतों से अनमनी आँधी ताकती है दिशाएँ। पूछ...
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