एकाकीपन में डूबी चुप्पी
शब्द तलाश ही रही थी कि
अचानक चोट खाया वर्तमान
हृदय से लिपटकर रोया।
आत्मभाव से जकड़ी हथेलियाँ
आपबीती अक्षर बन बिखरी
अवंतस के लूटने का प्रमाण
पक्षियों का स्वर बन चहचहाया।
अहं पँखों पर सवार हो आया
तारों की कतार ज्योति को बुझाया
चाँद की धवल चाँदनी पर देखो!
स्याह रात का पर्दा लगाया।
बसंत में पल्लवित पौधे को
बुहार अग्नि पुष्प खिलाए
नदियों को तितर-बितर कर
साज़िश से समंदर को सुखाया।
एकाधिकार की कसौटी पर
मनमाने व्यवहार से जीवन कसा
ज़िद स्वभाव की चटकनी से जड़ी
मुख्य-द्वार पर देखो! भविष्य टँगवाया।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंविचारों की गहन वेदना।
बहुत बहुत शुक्रिया सर।
हटाएंसादर
मर्मस्पर्शी रचना।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर।
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आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 10.02.2021 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
सादर आभार सर मंच पर स्थान देने हेतु।
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वाह।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया अनुज।
हटाएंसादर
एकाधिकार की कसौटी पर
जवाब देंहटाएंमनमाने व्यवहार से जीवन कसा
बेहतरीन...
सादर आभार सखी।
हटाएंसादर
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2036...कुछ देर जागकर हम आज भी सो रहे हैं...) पर गुरुवार 11 फ़रवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर मंच पर स्थान देने हेतु।
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बहुत गहरी कविता...।
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर।
हटाएंसादर
आत्मभाव से जकड़ी हथेलियाँ
जवाब देंहटाएंआपबीती अक्षर बन बिखरी
अवंतस के लूटने का प्रमाण
पक्षियों का स्वर बन चहचहाया।..बहुत सुन्दर, भावप्रवण..मन को छू गई..
दिल से आभार आदरणीय जिज्ञासा जी ऊर्जावान प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ।
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पूरे जीवन का वैचारिक मंथन करती गहन अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम सुंदर।
दिल से आभार आदरणीय सर आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा आशीर्वाद बनाए रखे।
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हमेशा की तरह मर्मस्पर्शी व भावपूर्ण लेखन गहरा असर छोड़ती हुई नमन सह आदरणीया। एकाधिकार की कसौटी पर
जवाब देंहटाएंमनमाने व्यवहार से जीवन कसा
ज़िद स्वभाव की चटकनी से जड़ी
मुख्य-द्वार पर देखो! भविष्य टँगवाया।
सादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु।
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चिंतनपरक गहन भावाभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मीना दी।
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जीवन की ऊहापोह का सटीक चित्रण
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय अनीता जी।
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जो बिखरे हुए अक्षर दिखते हैं वो अथाह गहराई को समेटे होते हैं और भाव डुबकी लगवाते हैं । ऐसा ही कुछ है ...
जवाब देंहटाएंदिल से आभार प्रिय अमृता जी मनोबल बढ़ाती सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु।आशीर्वाद बनाए रखे।
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सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
हटाएंसादर
अहं पँखों पर सवार हो आया
जवाब देंहटाएंतारों की कतार ज्योति को बुझाया
चाँद की धवल चाँदनी पर देखो!
स्याह रात का पर्दा लगाया।
वाह... बहुत ख़ूब
सादर आभार आदरणीय वर्षा दी आपकी प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ।
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वाह!प्रिय अनीता ,बहुत खूबसूरत भावाभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंदिल से आभार प्रिय शुभा दी स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
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विभिन्न उपमाओं से जुड़ी अच्छे विषय को ले कर लिखी अच्छी रचना है ...
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
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एकाकीपन में डूबी चुप्पी
जवाब देंहटाएंशब्द तलाश ही रही थी कि
अचानक चोट खाया वर्तमान
हृदय से लिपटकर रोया। ----- बहुत बहुत सराहनीय
सादर आभार आदरणीय आलोक जी सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।आशीर्वाद बनाए रखे।
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बेहतरीन रचना सखी
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय अनुराधा जी।
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