सोमवार, दिसंबर 26

'एहसास के गुँचे' एवं 'टोह' का लोकार्पण

 

  
      शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान बीकानेर में रविवार को महाराजा नरेंद्र सिंह ऑडिटोरियम में काव्य संग्रह 'एहसास के गुँचे' और 'टोह'  का लोकार्पण किया गया।  नगर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा किए गए सम्मान से अभिभूत हूँ।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कवि कथाकार आदरणीय राजेंद्र जोशी जी ने कहा-”कविताएँ स्त्री मन की रचनाएँ हैं जिसमें मानवीय संवेदना और अभिव्यक्ति के सशक्त आयाम है।"
 कार्यक्रम के अध्यक्ष आदरणीय डॉ. अजय जोशी जी ने कहा- ”कविताओं में संप्रेषणीयता और सरलता है और सहज ही पाठकों के हृदय में उतर जाती है।"
विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ लेखक एवं लघुकथाकार आदरणीय अशफ़ाक़ क़ादरी जी ने कहा- "कवयित्री बहुआयामी रचनाकार है जिनकी रचनाओं में लघु कथा जैसा प्रभाव दृष्टिगोचर होता है।"
 कार्यक्रम संयोजक आदरणीय राजाराम स्वर्णकार ने लोकार्पित कृतियों का परिचय बहुत ही सुंदर सहजता से दिया।
 सैनी समाज के सभी कार्यकर्ता एवं अधिकारी विकास संस्था बीकानेर के अध्यक्ष प्रवीण गहलोत जी एवं संगठन मंत्री आदरणीय मेघराज सोलंकी जी और खेल समीक्षक व्यंग्यकार आदरणीय आत्माराम भाटी जी जितेंद्र गहलोत जी , पवन गहलोत जी का भी हृदय से आभार।

समारोह में पधारे सभी महानुभावों का हृदय से अनेकानेक आभार इतने कम समय में सभी से रूबरू होने का यह सुअवसर एक यादगार क्षण बनकर हृदय में रहेगा।

शनिवार, दिसंबर 17

बटुआ



 एहसास भर से स्मृतियाँ

बोल पड़ती हैं कहतीं हैं-

तुम सँभालकर रखना इसे

अकाल के उन दिनों में भी

खनक थी इसमें!

चारों ओर

सूखा ही सूखा पसरा पड़ा था

उस बखत भी इसमें सीलन थी।

गुलामी का दर्द

आज़ादी की चहलक़दमी 

दोनों का

मिला-जुला समय भोगा है इसने।

अतीत के तारे वर्तमान पर जड़ती

यकायक मौन में डूब जाती थी।

क्या है इसमें ? पूछने पर बताती 

विश्वास! 

 विश्वासपात्र के लिए।

नब्बे पार की उँगलियाँ 

साँझ-सा स्पर्श 

भोर की हथेलियों पर विश्वास के अँखुए

धीरे-धीरे टटोला करती थी ददिया सास।


@अनीता सैनी 'दीप्ति'