शनिवार, अप्रैल 19

नीरव सौंदर्य

नीरव सौंदर्य / अनीता सैनी

१८अप्रैल २०२५

….

आश्वस्त करती

अनिश्चितताएँ जानती हैं!

घाटियों में आशंकाएँ नहीं पनपतीं;

वहाँ

मिथ्या की जड़ें

गहरी नहीं, अपितु कमजोर होती हैं।


वहाँ अंखुए फूटते हैं

उदासियों के।


जब उदासियाँ

घाटियों में बैठकर कविताएँ रचती हैं,

तब उनके पास

केवल चमकती हुई दिव्य आँखें ही नहीं होतीं,

अपार सौंदर्य भी होता है।


नाक, सौंदर्य का एक अनुपम उदाहरण है,

जिसकी रक्षा आँखें आजीवन करती हैं।

वे यूँ ही नहीं कहतीं—

"कविता प्यास है न हीं तृप्ति

बस

एक घूंट पानी है।"

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर अंतर्मन को कहती

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर सोमवार 21 अप्रैल 2025 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

    जवाब देंहटाएं