गूँगी गुड़िया
अनीता सैनी
गुरुवार, सितंबर 23
बोलना चाहिए इसे अब
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एक समय पहले अतीत ताश के पत्ते खेलता था नीम तो कभी पीपल की छाँव में बैठता था न जाने क्यों ? आजकल नहीं खेलता घूरता ही रहता है बटेर-सी आँ...
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गुरुवार, सितंबर 16
ममतामयी हृदय
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ममतामयी हृदय पर अंकुरित शब्दरुपी कोंपलें काग़ज़ पर बिखर जब गढ़ती हैं कविताएँ सजता है भावों का पंडाल प्रेम की ख़ुशबू से मुग्ध मानव मन का म...
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गुरुवार, सितंबर 9
प्रभा प्रभाती
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प्रभा प्रभाती झूमे गाये मुट्ठी मोद स्वप्न लाई। बैठ चौखट बाँटे उजाला बिखरे हैं भाव लजाई।। चाँद समेटे धवल चाँदनी अंबर तारे लूट रहा। प्रीत ...
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बुधवार, सितंबर 1
उस रोज़
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उस रोज़ घने कोहरे में भोर की बेला में सूरज से पहले तुम से मिलने आई थी मैं लैंप पोस्ट के नीचे तुम्हारे इंतज़ार में घंटो बैठी रही एहसास ...
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सोमवार, अगस्त 30
भरे भादवों बळ मन माही
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भरे भादवों बळ मन माही बैरी घाम झुलसाव है बदल बादली भेष घणेरा अंबरा चीर लुटाव है।। उखड़ो-उखड़ो खड़ो बाजरो ओ जी उलझा मूँग-ग्वार हरा काचरा ...
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बुधवार, अगस्त 25
विश्वास के मुट्ठीभर दाने
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विश्वास के मुट्ठीभर दाने छिटके हैं समय की रेत पर गढ़े हैं धैर्य के छोटे-छोटे धोरे निष्ठित जल से सींचती है प्रभात। सूरज के तेज ने टहनियों प...
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शनिवार, अगस्त 21
आज
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हवाओं में छटपटाहट धूप में अकुलाहट है व्यक्त-अव्यक्त से उलझता आशंकाओं का ज्वार है। तर्क-वितर्क के उखड़े-उखड़े चेहरे हैं कतारबद्ध उद्गार ढ...
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शनिवार, अगस्त 14
लू
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तपती बालुका पर दौड़ती लू फफोलों को पाँव से हटाती है पदचाप धोरे दामन से मिटाती सूरज बादलों से ढकती है। मरुस्थल के मौन को तोड़ती कहानियों के...
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मंगलवार, अगस्त 10
खोटी बाताँ बोल्यो सुंटो
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खोटी बाताँ बोल्यो सुंटो सावण आय भड़काव जी पात-पात पर नेह लुढ़काव विरहण पीर उठावे जी।। छेकड़ माही मेह झाँकतो खुड़कावे हिय पाट झड़ी थळियाँ मा...
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