बुधवार, जुलाई 10

कल्पित कविता कल्पनालोक ने



हृदय सरगम के निर्मल तारों से , 

अंतरात्मा ने किया भावों को व्यक्त ,

कल्पित कविता कल्पनालोक ने ,

कहीं अनुराग कहीं विरक्त |


कहीं  बिछोह  में  भटकी दर-दर ,

कहीं   अपनों   ने   दुत्कारा ,

नीर  नयन  का  सुख  गया ,

जब उर  ने  उर  को  दुलारा |


करुण  चित्त  का  कल्लोल ,

कल्पना  ने  कल्पा  संयोग ,

शब्द  साँसों  में  सिहर  उठे ,

 जब अंतरमन  से  उलझा वियोग  |


कभी  झाँकती  खिड़की से,

कभी निश्छल प्रेम ने पुकारा,

 कह  अल्हड़  हृदय  का उद्गार, 

जब  जग  ने  दिया  सहारा |


अकेलेपन की अलख से आहत,

ओढ़ा  आवरण  न्यारा ,

 पहनी   पगड़ी   खुद्दारी   की,

  जब कवि ने कविता  को  संवारा |


 - अनीता सैनी

26 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बहुत सुंदर प्रस्तुति जब कवि ने कविता को संवारा ।

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    1. तहे दिल से आभार प्रिय कुसुम दी जी
      सादर

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  2. वाह! अलंकृत रचना का सौंदर्यबोध मनमोहक है. सुन्दर रचना में शब्द-विन्यास रोचकता लिये हुए है.

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    1. सहृदय आभार आदरणीय सुन्दर समीक्षा और उत्साहवर्धन हेतु |
      प्रणाम
      सादर

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  3. अकेलेपन की अलख से आहत,
    ओढ़ा आवरण न्यारा ,
    पहनी पगड़ी खुद्दारी की,
    जब कवि ने कविता को संवारा | बेहतरीन रचना

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  4. वाह!!सखी ,बेहतरीन रचना!

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    1. तहे दिल से आभार प्रिय सखी
      सादर स्नेह

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  5. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (12-07-2019) को "भँवरों को मकरन्द" (चर्चा अंक- 3394) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. सहृदय आभार आदरणीय चर्चा मंच पर मुझे स्थान देने हेतु
      प्रणाम
      सादर

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  6. उत्तर
    1. सस्नेह आभार प्रिय उर्मिला दी जी
      सादर स्नेह

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  7. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १२ जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. सहृदय आभार प्रिय श्वेता दी जी पाँच लिंकों के आंनद पर स्थान देने हेतु
      सादर स्नेह

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  8. उत्तर
    1. सहृदय आभार आदरणीय उत्साहवर्धन हेतु
      प्रणाम
      सादर

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  9. कहीं बिछोह में भटकी दर-दर ,
    कहीं अपनों ने दुत्कारा ,
    नीर नयन का सुख गया ,
    जब उर ने उर को दुलारा |
    वाह!!!
    लाजवाब रचना।

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    1. तहे दिल से आभार आदरणीया दी जी
      प्रणाम
      सादर

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  10. उत्तर
    1. सहृदय आभार आदरणीया दी जी
      सादर स्नेह

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  11. पगड़ी खुद्दारी की
    बेहतरीन

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