अबोध मन को समझाना न झुँझलाना तुम
आश्वासन की पटरी पर अंधा बन न लेटा करे।
तरक़्क़ी की महक फैलाती दौड़ती है लौहपथगामिनी !
उत्साह के झोंके की रफ़्तार को यों न बाँधा करे।
तुम समझ नहीं पाओगे पकड़ नहीं पाओगे गति को
गोल-गोल घूमती गंतव्य का अभाव है अभी भी ।
उन्नति के बादल गढ़ती ज़हरीले धुआँ से
अपेक्षा को पालना झुलाना निरर्थक है अभी भी।
तुम समझ के पतवार बाँधो हवा को समझो
निर्जीव प्रयासों को जीवितकर पानी पिलाओ।
एक आँख से न ही दोनों आँखों से जग को निहारो
सूखे कुएँ की पाल पर झूलती टहनी पर बैठी
चमगादड़ की चाकरी को न पुकारो अभी भी।
तुम भींत पर बने विभिन्न भिंतीचित्र नहीं हो
न ही क़र्ज़ का भार उठाए कमर से कटे किसान हो
डूँगर पर टहलते बिन तार के खंभे न बनो
न ही खंडहर में पड़े लावारिश पाषाण बनो
वीरानियाँ पहने पालते हो सांसों को अपनी
तुम चाँदनी को निहारो उसी की बातें किया करो
वह जागीर है प्रतिष्ठा है शीश पर रखी पगड़ी है तुम्हारी।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (18-09-2020) को "सबसे बड़े नेता हैं नरेंद्र मोदी" (चर्चा अंक-3828) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
--
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर आभार आदरणीय सर चर्चामंच पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार १८ सितंबर २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सादर आभार आदरणीय श्वेता दी पाँच लिंकों पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
सुंदर रचना.🌻
जवाब देंहटाएंसादर आभार अनुज मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सुशील सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
प्रभावशाली लेखनी...प्रेरणादायी संदेश का भाव लिए लिए बहुत सुन्दर और भावपूर्ण सृजन.
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय दी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंआशीर्वाद बनाए रखे।
सादर
तुम समझ नहीं पाओगे पकड़ नहीं पाओगे गति को
जवाब देंहटाएंगोल-गोल घूमती गंतव्य का अभाव है अभी भी ।
उन्नति के बादल गढ़ती ज़हरीले धुआँ से
अपेक्षा को पालना झुलाना निरर्थक है अभी भी।
वाह!!!
बहुत सुन्दर सटीक समसामयिक...
लाजवाब सृजन।
सादर आभार आदरणीय सुधा दी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
लाजबाब लेखन
जवाब देंहटाएंतहे दिल से आभार आदरणीय विभा दी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
बहुत सुंदर संदेश देती रचना प्रिय अनीता जी
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय कामिनी दी उत्साहवर्धन प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंआदरणीय
सुंदर प्रवाह ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया।
हटाएंचिंतन परक औऱ प्रेरित करता सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर
सादर
सादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
बहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर
वाह बहुत बेहतरीन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
हटाएंसादर