रविवार, अक्तूबर 25

अभिलाषा



मन दीये में नेह रुप भरुँ  
बैठ स्मृतियों की मुँडेर पर।
समर्पण बाती बन बल भरुँ 
समय सरित की लहर पर।
प्रज्वलित ज्योति सांसों की 
बन प्रिय पथ पर पल-पल जलूँ।

भाव तल में तरल तरंग 
मृदुल अनुभूतियाँ बन छाया ऊठूँ ।
किसलय-दल मैं सजल भोर बनूँ 
पथिक पथ तपन मिटे दूर्वा रुप ढलूँ।
शाँत पवन मिट्टी की महक बनूँ 
 नयनन स्वप्न प्रिय प्रीत बन जलूँ ।

सूनेपन में  मुखर आभा 
उदास मन में उम्मीद बन निखरुँ।
आरोह-अवरोह सब मैं सहूँ 
जीवन-लय में लघु कण बन बहूँ ।
हताश मन में साथी संबल बनूँ 
प्रिय मन दीप्ति हृदय आँगन जलूँ ।

@अनीता सैनी 'दीप्ति'

36 टिप्‍पणियां:

  1. वाह बहुत सुंदर समर्पित भावों का सुंदर श्रृंगार सृजन।
    मन के सभी कोमल भाव प्रिय की कुशलता में आच्छादित से ।
    बहुत प्यारी रचना।

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    1. आभारी हूँ दी सुंदर सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु।आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 25 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सादर आभार आदरणीय यशोदा दी सांध्य दैनिक पर स्थान देने हेतु।
      सादर

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  3. बहुत सुन्दर और मर्मस्पर्शी।
    विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर मनोबल बढ़ाने हेतु।

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  4. भाव तल में तरल तरंग
    मृदुल अनुभूतियाँ बन छाया उठूँ ।
    किसलय-दल मैं सजल भोर बनूँ
    पथिक पथ तपन मिटे दूर्वा रुप ढलूँ।
    शाँत पवन मिट्टी की महक बनूँ
    नयनन स्वप्न प्रिय प्रीत बन जलूँ ।

    जीवन को सार्थक करती कविता
    आदर्शोन्मुख

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    1. दिल से आभार सखी प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ।
      सादर

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  5. ख़ूब सुन्दर नाज़ुक अभिव्यक्ति - - नमन सह।

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    1. सादर आभार आदरणीय मनोबल बढ़ाने हेतु।
      सादर

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  6. भाव तल में तरल तरंग
    मृदुल अनुभूतियाँ बन छाया उठूँ ।
    किसलय-दल मैं सजल भोर बनूँ
    पथिक पथ तपन मिटे दूर्वा रुप ढलूँ।
    अतुलनीय सुन्दर सरस भावाभिव्यक्ति ।



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    1. आभारी हूँ आदरणीय मीना दी आपकी प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ।
      सादर

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  7. बहुत-बहुत सुंदर रचना। मन की अनुभूति कागज पर बिखर कर उभर रही है। स्नेहमयी साधुवाद ।
    विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

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    1. सहृदय आभार आदरणीय आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा।
      सादर

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर मनोबल बढ़ाने हेतु।

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  9. विजयोत्सव की हार्दिक बधाई
    उम्दा भावाभिव्यक्ति हेतु साधुवाद

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    1. दिल से आभार दी आपकी प्रतिक्रिया आशीर्वाद है मेरे लिए.
      सादर

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  10. सादर नमस्कार ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (27-10-2020 ) को "तमसो मा ज्योतिर्गमय "(चर्चा अंक- 3867) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

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    1. सादर आभार आदरणीय कामिनी दी चर्चामंच पर स्थान देने हेतु।

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  11. बहुत सुन्दर अनीता ! 'भारतीय आत्मा' श्री माखनलाल चतुर्वेदी जी की अमर रचना - पुष्प की अभिलाषा' की याद आ गयी.

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    1. सर कभी-कभी शब्द नहीं होते कि किन शब्दों से आभार व्यक्त करूँ।आपके आशीर्वाद भरे शब्द मेरा संबल है।सृजन की तुलना 'भारतीय आत्मा'श्री माखनलाल चतुर्वेदी जी कर आपने जिस गौरव से नवाज़ा है सच्च शब्द नहीं है।मुझे ख़ुद को लिखते समय एहसास नहीं था। आभारी हूँ सर।
      आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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  12. उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाने हेतु।

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  13. वाह!प्रिय अनीता ,बहुत ही खूबसूरत सृजन ।

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    1. दिल से आभार दी आपका स्नेह मेरा संबल है।आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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  14. उत्तर
    1. दिल से आभार प्रिय दी आपकी प्रतिक्रिया मेरा संबल है।आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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  15. बहुत ही सुंदर लेखन
    भावों से परिपूर्ण

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    1. सादर आभार अनुज मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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  16. सूनेपन में मुखर आभा
    उदास मन में उम्मीद बन निखरुँ।
    आरोह-अवरोह सब मैं सहूँ
    जीवन-लय में लघु कण बन बहूँ ।
    हताश मन में साथी संबल बनूँ
    प्रिय मन दीप्ति हृदय आँगन जलूँ ।
    इतनी भावपूर्ण अभिलाषा!!!
    प्रेम और समर्पण की पराकाष्ठा.... बहुत ही उत्कृष्ट...लाजवाब सृजन।

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    1. सादर आभार प्रिय दी आपकी प्रतिक्रिया मेरा संबल है।आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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