रविवार, अक्तूबर 4

नेह का बँधन


पीपल की शीतल छाँव में बैठ 
फ़ुरसत से गढ़ा है विधाता ने 
नेह का है पवित्र बँधन हमारा 
हम मिलेंगे जीवन डगर पर 
क़दम ख़ुद व ख़ुद तय करेंगे सफ़र 
हर्षाते विश्वास का है सहारा।

मैं समय दीप में उड़ेल समर्पण 
पलकें बिछाए राह तकूँगी तुम्हारी 
बेचैनियों भरा बिछाया है ग़लीचा 
सांसें बुनने लगीं हैं स्वप्न तुम्हारा 
तमस छटेगा उजाला होगा पथ पर 
हँसता हुआ  दिवस होगा हमारा।

धड़कनों ने पहनी है ख़ुशी की पायल 
प्रतीक्षा में मैं चौखट निहारने लगी हूँ 
कोना-कोना प्रीत से सजाऊँगी 
कोमल पैरों को मैं हाथों पर रखूँगी 
स्नेह की मिट्टी से महकेगा आँगन  
मैं तुझे  माँ कहकर बुलाऊंगी ।

@अनीता सैनी 'दीप्ति'

15 टिप्‍पणियां:

  1. कोना-कोना प्रीत से सजाऊँगी
    कोमल पैरों को मै हाथों पर रखूँगी
    स्नेह की मिट्टी से महकेगा आँगन
    मैं तुझे माँ कहकर बुलाऊंगी ।
    अद्भुत और अप्रतिम । सराहना से परे भावाभिव्यक्ति ।

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  2. बहुत सुन्दर अनीता !
    बिटिया के घर माँ आए तो उसका मैका तो अपना ही घर बन जाता है और उसका बचपन भी लौट आता है.

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  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 04 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. बहुत सुंदर सृजन, अनिता दी।

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  5. असीम स्नेह, आत्मा तक आनंदित है ,नैन कोर कुछ भीगे भीगे।

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  6. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 5 अक्टूबर 2020) को 'हवा बहे तो महक साथ चले' (चर्चा अंक - 3845) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  7. बेचैनियों भरा बिछाया है ग़लीचा
    सांसें बुनने लगीं हैं स्वप्न तुम्हारा
    तमस छटेगा उजाला होगा पथ पर
    हँसता हुआ दिवस होगा हमारा।बेहद खूबसूरत रचना सखी।

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  8. वाह!सखी अनीता ,बहुत खूबसूरत भावाभिव्यक्ति !

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  9. सुंदर अभिव्यक्ति

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  10. मैं समय दीप में उड़ेल समर्पण
    पलकें बिछाए राह तकूँगी तुम्हारी
    बेचैनियों भरा बिछाया है ग़लीचा
    सांसें बुनने लगीं हैं स्वप्न तुम्हारा
    तमस छटेगा उजाला होगा पथ पर
    हँसता हुआ दिवस होगा हमारा।
    माँ के आगमन की खबर सुनते ही बेटी कु खुशियों की सीमा कहाँ रहती है।
    एक बेटी के माँ से मिलने के भावों को बहुत ही खूबसूरतती से बयां किया है आपने।
    वाह!!!

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