गूँगी गुड़िया

अनीता सैनी

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बुधवार, सितंबर 4

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ख़ामोशी से बातें करता था  न जाने  क्यों लाचारी है   कि पसीने की बूँद की तरह  टपक ही जाती थी  अंतरमन में उठता द्वंद्व  ललाट पर सलवट...
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अनीता सैनी
मैं एक ब्लॉगर हूँ, स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हूँ, प्रकृति के निकट स्वयं को पाकर रचनाएँ लिखती हूँ, कविता भाव जगाएँ तो सार्थक है, अन्यथा कविता अपना मर्म तलाशती है |
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