गूँगी गुड़िया

अनीता सैनी

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मंगलवार, सितंबर 24

यायावर-सा जीवन तुम्हारा

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असबाब लादे रौबीले तन पर,  यायावर मुस्कुराहट को मात दे गया, सजा सितारे शान से सीने  पर,      सपनों का सौदागर सादगी में सिमटता-सा ...
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अनीता सैनी
मैं एक ब्लॉगर हूँ, स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हूँ, प्रकृति के निकट स्वयं को पाकर रचनाएँ लिखती हूँ, कविता भाव जगाएँ तो सार्थक है, अन्यथा कविता अपना मर्म तलाशती है |
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