असबाब लादे रौबीले तन पर,
यायावर मुस्कुराहट को मात दे गया,
सजा सितारे शान से सीने पर,
सपनों का सौदागर सादगी में सिमटता-सा गया |
आसमां की छत्रछाया उसका मन मोह गयी,
देह को उसकी मटमैला लिबास भा गया,
नींद कब कोमल बिछौना माँगती है,
यह सोच वह धरा के आँचल में लिपटता-सा गया |
अहर्निश उड़ान को आतुर हृदय,
परिंदों के डैंनों-सी उल्लासित बाहों में,
गर्बिला जोश उफनता-सा गया,
जुगनू-सी चमकती उम्मीद नयन में,
पथराये दुःख की तरह क़ाबिज़ उनकी आँखों में न था,
क़दम-दर-क़दम उल्लासित मन सफ़र मापता-सा गया |
परवाह में बेपरवाह-सी सजी ज़िंदगी,
देख वैराग्य का कलेजा पसीज-सा गया,
पड़ाव आँखों में उभर आया तुम्हारा,
यह देख ठिकाना हमारा ठिठुरता-सा गया |
नसीब के पत्ते बहुत फड़फड़ाये,
ठाँव और गाँव बाँध न पाये पाँव तुम्हारे,
यह देख वक़्त अँजुली से हमारे रिसता-सा गया,
समय के रथ पर हो सवार,
यायावर-सा जीवन तुम्हारा,
राह नापने में आहिस्ता-आहिस्ता गुज़रता-सा गया |
- अनीता सैनी