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मंगलवार, सितंबर 24

यायावर-सा जीवन तुम्हारा




असबाब लादे रौबीले तन पर, 
यायावर मुस्कुराहट को मात दे गया,
सजा सितारे शान से सीने  पर,    
सपनों का सौदागर सादगी में सिमटता-सा गया |

  आसमां की छत्रछाया उसका मन मोह गयी,   
 देह को उसकी मटमैला लिबास भा गया,  
नींद कब कोमल बिछौना माँगती है,   
यह सोच वह धरा के आँचल में लिपटता-सा गया |

अहर्निश उड़ान को आतुर  हृदय, 
परिंदों के डैंनों-सी उल्लासित बाहों में, 
 गर्बिला जोश उफनता-सा गया, 
 जुगनू-सी चमकती उम्मीद नयन में, 
  पथराये दुःख की तरह क़ाबिज़ उनकी आँखों में न था, 
 क़दम-दर-क़दम उल्लासित मन सफ़र मापता-सा गया |

परवाह में बेपरवाह-सी सजी ज़िंदगी, 
देख वैराग्य का कलेजा पसीज-सा  गया, 
पड़ाव आँखों में उभर आया तुम्हारा, 
यह देख ठिकाना हमारा ठिठुरता-सा  गया |

नसीब के पत्ते बहुत फड़फड़ाये, 
ठाँव और गाँव बाँध न पाये पाँव तुम्हारे, 
यह देख वक़्त अँजुली से हमारे रिसता-सा गया, 
समय के रथ पर हो सवार, 
यायावर-सा जीवन तुम्हारा, 
राह नापने में आहिस्ता-आहिस्ता गुज़रता-सा गया |

- अनीता सैनी