वृद्ध विहंग,
एकाकी विचरण ,
मीत ठूँठ,
प्रीत लाचारी,
झर रहा दो प्रणयियों,
के नयन नीर नीरस जीवन में।
स्नेह प्रीत पवन पल्लवित ,
विचरण विहग मुग्ध स्वप्न में।
प्रीत पहन ज्योतिर्मय,
जलधि-जलद व्याकुल प्रीत में।
प्रज्वलित दीप उम्मीद,
शुष्क स्नेह नयन में।
उदीप्त सकल साज,
नीरस जीवन में।
धीर धर वसंत पल्लवित ,
महके ठूँठ नील गगन में।
छाँह बैठे पथिक पथ ह्रदय,
सुकून आह झलके जीवन में।
अनीता सैनी
ठूंठता पर अद्भुत सृजन | सचमुच बहुत असहनीय है जीवन का ठूंठ हो जाना | भावपूर्ण रचना के लिए शुभकामनयें सखी |
जवाब देंहटाएंप्रिय सखी रेणु -आप की टिप्णी मन में सुखद एहसास का संचार करवाती है ब्लॉग जगत में अपने पन का एहसास करवाती है आप की मौजूदगी ,आप की जितनी प्रशंसा करू वो भी कम ही होंगी, आप से मिलना जीवन का सुखद एहसास रहा, आप ब्लॉग पर आते रहें यही निवेदन है आप से.. ..सह्रदय आभार सखी मेरी रचनावों को आप ने ये मुक़ाम दिया , उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार सखी
हटाएंसादर
सभी पोस्ट पर से टिप्पणियाँ कहाँ गयी सखी ?बहुत हैरान हूँ | मुझे याद है कई पोस्ट पर मैंने भी लिखा था |
जवाब देंहटाएंप्रिय सखी रेणु - आप ने सही प्रशन किया है बिना टिप्णी के ब्लॉग सुना-सुना लगता है वो टिप्णी मेरे लिए मैडल से कम नहीं थी सखी ब्लॉग का कमेंट बॉक्स हैंग हो गया था इस लिए सेटिंग के बाद सभी टिप्णी रद हो गई ,आप के साथ हुई प्यार भरी बातें जिंदगी का सुखद एहसास थे वो कॉमेंट , आप का साथ योहीं बना रहें, आप को बहुत सा स्नेह |
जवाब देंहटाएंसादर
खूबसूरत एहसास,
जवाब देंहटाएंवाहः
सह्रदय आभार आदरणीय लोकेश जी
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