प्रीत पद से बाँध, होठों पर सजा मुस्कान,
वर्दी सुर्ख़ लाल पहन लेना,
भारत माँ से किया जो वादा,
मेरी प्रीत भुला देना |
सो चुका जनमानस,
निद्रा में व्यवधान न आने देना,
सीने पर लेना हर ज़ख़्म,
ज़ालिम का निशां मिटा देना |
आह्वान करुँ जनमानस से ,
हर सैनिक को सीने से लगा लेना,
माँ के स्नेह को तरसता,
माँ की गोद में सुला देना |
अहिंसा का पुजारी मेरा देश,
शांति का बिगुल बजा देना,
अंतरमन से उठी चेतना,
दबाकर फिर सुला देना |
दिन, सप्ताह, और महीना,
कलेजे पर फिर निशान बना देना,
सूखा न आँख का पानी,
वीरांगना को तिरंगा थमा देना |
- अनीता सैनी
बेहद हृदयस्पर्शी रचना सखी 👌
जवाब देंहटाएंस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
क्या तिरंगे में ही जाना है नियति,
जवाब देंहटाएंकाम कुछ ऐसा भी होना चाहिए,
देश के दुश्मन से सब, मिलकर लड़ें,
औ सियासत, दूर रखनी चाहिए.
क्या तिरंगे में ही जाना है नियति ...यही मैं अपने आप से पूछती हूँ|तहे दिल से आभार आप का आदरणीय समीक्षा के लिए
हटाएंआभार
सादर
मार्मिक कविता ... विचारोत्तेजक
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
मार्मिक सृजन अनीता जी । अप्रतिम भावाभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
सो चुका जन मानस
जवाब देंहटाएंनिद्रा मे व्यवधान न आने देना
सीने पर लेना हर जख़्म
ज़ालिम का निशान मिटा देना......
अनीता जी क्या खूबसूरत कविता है
तहे दिल से आभार आप का
हटाएंसादर
बहुत गहरी संवेदना से भरपूर हृदय स्पर्शी सृजन सखी ।
जवाब देंहटाएंएक प्रश्न।
सस्नेह आभार प्रिय सखी
हटाएंसादर
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (03-05-2019) को "कंकर वाली दाल" (चर्चा अंक-3324) (चर्चा अंक-3310) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए
हटाएंसादर
सहृदय आभार आदरणीय
जवाब देंहटाएंसादर
बेहतरीन,ह्रदयस्पर्शी रचना
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय दी जी
हटाएंसादर
दिन, सप्ताह, और महीना
जवाब देंहटाएंकलेज़े पर फ़िर निशान बना देना
सूखा न आँख का पानी
वीरांगना को तिरंगा थमा देना
प्रिय अनिता एक सैनिक की अंतर्वेदना को बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति दे है तुमने | सस्नेह
सस्नेह आभार प्रिय रेणु दी
हटाएंसादर
प्रिय रेणु दी आप ने बहुत अच्छी समीक्षा की है पर मैं अपने मन की बात रखना चाहती हूँ |उपर वाले दो पदों में नाइका अपने पति के सामने अपने मन की बात कह रही है बाक़ी वह समाज के...
हटाएंवाह! सलाम उस देश की उस महान ललना और उसके दिव्य मंजुल एवं उदात्त भावों को! नि:शब्द नमन!
जवाब देंहटाएंजी बहुत बहुत शुक्रिया आप का
हटाएंसादर