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शनिवार, फ़रवरी 13

प्रेम


 हर कोई आज-कल प्रेम में है

जैसे भोर की प्रीत में लिप्त हैं रश्मियाँ

त्याग की पराकाष्ठा के पार उतरती मद्धिम रौशनी

सूर्य को आग़ोश में भर नींद में जैसे है सुलाती 

वैसे ही हर नौजवान आजकल प्रेम में है।


गलियों में भटकता प्रेम भी प्रेम है 

समर्पण की भट्टी में अपनापन कुरेदता 

कुछ पल का सुकून दिलों की जेब में भरता  

आत्मीयता में भीगे चंद पल हैं  लहराते 

वैसे ही हर नौजवान आज-कल प्रेम में है।


भविष्य का दरदराया  चेहरा अनदेखाकर

 अनदेखा करते हैं मुँह में पड़े अनगिनत छाले

आत्मभाव में डूबे स्वप्न के पँखों पर सवार 

आत्मविभोर हो मन की उड़ान जैसे हैं उड़ते 

वैसे ही हर नौजवान आज-कल प्रेम में है।


@अनीता सैनी 'दीप्ति'


38 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम में हर कोई है लेकिन किस तरह..बहुत बढ़िया कविता..

    सादर नमन...

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका उत्साहवर्धन प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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  2. भावों को उकेरने में सिद्धहस्त हैं आप । अत्यंत सुन्दर सृजन।

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  3. प्रणय दिवस के अवसर पर सार्थक और भावप्रवण प्रस्तुति।

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  4. वाह, बहुत ख़ूब...
    आपकी इस कविता के लिए समर्पित हैं मेरी ये पंक्तियां...

    प्रेम में होने के मायने हैं कई
    ज़िन्दगी के तो आइने हैं कई
    'दीप्ति'की बात निराली, देखो
    भावनाओं के स्वर बने हैं कई

    सस्नेह,
    डॉ. वर्षा सिंह

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    1. दिल से आभार आदरणीय वर्षा दी मोह गई आपकी पंक्तियाँ।
      सादर

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  5. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 15 फ़रवरी 2021 को चर्चामंच <a href="https://charchamanch.blogspot.com/ बसंत का स्वागत है (चर्चा अंक-3978) पर भी होगी।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर चर्चामंच पर स्थान देने हेतु।
      सादर

      हटाएं
  6. हर कोई आज-कल प्रेम में है
    जैसे भोर की प्रीत में लिप्त हैं रश्मियाँ
    त्याग की पराकाष्ठा के पार उतरती मद्धिम रौशनी
    सूर्य को आग़ोश में भर नींद में जैसे है सुलाती
    वैसे ही हर नौजवान आजकल प्रेम में है।

    वाह!!!
    बहुत खूब !!!
    बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति !!!
    बधाई अनीता जी 🌹🙏🌹

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    1. सादर आभार आदरणीय शारदा दी सुंदर प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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  7. उत्तर
    1. दिल से आभार आदरणीय संगीता दी।
      सादर

      हटाएं
  8. प्रेम को भिन्न-भिन्न आयामों से जोड़ती सुन्दर मनोभावों की अभिव्यक्ति..सुन्दर कृति..

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    1. दिल से आभार आदरणीय जिज्ञासा जी अत्यंत हर्ष हुआ आपकी प्रतिक्रिया मिली।
      सादर

      हटाएं
  9. भविष्य का दरदराया चेहरा अनदेखाकर

    अनदेखा करते हैं मुँह में पड़े अनगिनत छाले

    आत्मभाव में डूबे स्वप्न के पँखों पर सवार

    आत्मविभोर हो मन की उड़ान जैसे हैं उड़ते

    वैसे ही हर नौजवान आज-कल प्रेम में है।
    बहुत सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय ज्योति जी सराहनासम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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  10. वाह!प्रिय अनीता ,बेहतरीन सृजन ।

    जवाब देंहटाएं
  11. वाह अनीता जी, कटुसत्य कह डाना आपने तो क‍ि .समर्पण की भट्टी में अपनापन कुरेदता

    कुछ पल का सुकून दिलों की जेब में भरता

    आत्मीयता में भीगे चंद पल हैं लहराते

    वैसे ही हर नौजवान आज-कल प्रेम में है..वाह

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय अलकन्दा जी।
      सादर

      हटाएं
  12. भविष्य का दरदराया चेहरा अनदेखाकर
    अनदेखा करते हैं मुँह में पड़े अनगिनत छाले
    आत्मभाव में डूबे स्वप्न के पँखों पर सवार
    आत्मविभोर हो मन की उड़ान जैसे हैं उड़ते
    वैसे ही हर नौजवान आज-कल प्रेम में है।
    वाह!!!
    सचमुच आजकल के नौजवान प्रेम में हैं,
    अनकहा सा सच कह डाला आपने...
    लाजवाब.. ..।

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  13. उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर ।
      सादर

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  14. सच में तो प्रेम में हो जाना ही जीवन है ... उसकी सार्थकता भी तो तभी है ... सुन्दर शब्द ...

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    उत्तर
    1. सही कहा आपने आदरणीय सर प्रेम ही जीवन है।
      सादर आभार ।

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  15. हर कोई आज-कल प्रेम में है
    जैसे भोर की प्रीत में लिप्त हैं रश्मियाँ
    त्याग की पराकाष्ठा के पार उतरती मद्धिम रौशनी
    सूर्य को आग़ोश में भर नींद में जैसे है सुलाती।।।


    इस बसंतोत्सव में तो प्रकृति का कण-कण प्रेम में है, और हो भी क्यूँ ना! यह उल्लास तो वृद्धजनों में भी नवयौवन भर देने में सक्षम है।

    मनमोहक प्रस्तुति हेतु बधाई आदरणीया। बसंतोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ। ।।।

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

      हटाएं
  16. बहुत बहुत सुन्दर रचना

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
      सादर

      हटाएं
  17. बहुत सुंदर रचना
    वाह

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  18. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

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