इस की यही कहानी,
सिसक रहा हृदय,
नहीं मिटती बेईमानी |
सृजन बीच छिपी पीड़ा,
होठों से कैसे मुस्काऊँ,
रुंधे कंठ बुझे मन के,
कैसे आवाज़ लगाऊँ |
झर रहे प्रीत फूल धरा के,
कैसी हुई बौछार गगन से,
मादकता में फिर उलझ गये,
हार गए चंचल चितवन से |
तपन मरु के सिसके छाले,
चितादीप-सा जलता जीवन,
हृदय में धधक रही ज्वाला,
समय धार पर चलता जीवन |
छूट रहीं साँसें तन की,
क़ीमत जीवन की तब समझे,
जब तक रहे इस दुनिया में,
रहे मोह माया में उलझे |
- अनीता सैनी
बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंप्रणाम आदरणीय
हटाएंसादर
सुन्दर
जवाब देंहटाएंप्रणाम आदरणीय सुशील जोशी जी
हटाएंसहृदय आभार आप का
सादर
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 30/03/2019 की बुलेटिन, " सांसद का चुनाव और जेड प्लस सुरक्षा - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय शिवम् जी
हटाएंब्लॉग बुलेटिन में मुझे स्थान देने के लिए
सादर
बहुत सुन्दर सृजन अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंप्रिय मीना जी तहे दिल से आभार आप का
हटाएंसादर
मोह माया में फंसा है जीवन
जवाब देंहटाएंइस की यही कहानी
सिसकता रहा हृदय
नही मिटती बेईमानी
यथार्थ !
बेहतरीन सृजन आदरणीया
सहृदय आभार आदरणीय उत्साहवर्धन टिप्णी के लिए
हटाएंसादर
बहुत सुंदर और सार्थक सृजन। आपको बधाई।
जवाब देंहटाएंप्रणाम आदरणीय वीरेन्द्र जी
हटाएंतहे दिल से आभार आप का
सादर
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (01-04-2019) को "वो फर्स्ट अप्रैल" (चर्चा अंक-3292) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
प्रणाम आदरणीय
हटाएंसहृदय आभार आप का चर्चा में मुझे स्थान देने के लिए
सादर
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंप्रिय सखी सस्नेह आभार आपका
हटाएंसादर
सुंदर
जवाब देंहटाएंजी प्रणाम
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जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार आदरणीय मुकेश की आप ब्लॉग पर पधारे
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सहृदय आभार आदरणीय उत्साहवर्धन टिप्णी के लिए
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सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय
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छूट रही सांसे तन की
जवाब देंहटाएंक़ीमत जीवन की तब समझे
जब तक रहे इस दुनिया में
रहे मोह माया में उलझे |
बहुत खूब जी।
सस्नेह आधार आदरणीय मुकेश जी 🙏🙏🌷🌷
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