मन कुछ डोल-सा गया,
बुनियाद पर किया विचार,
फिर आज को तौल-सा गया |
ख़तरे में अस्तित्त्व,
छूट रही पहचान,
गर्दिश चेहरे पर,
खोखला हुआ इनाम |
झूठ, हिंसा, भारी तन पर,
रहा, सत्ता-शक्ति का हाथ,
राह चुनी प्रीत की,
हुई द्वेष के साथ |
समय के सागर में,
निष्ठा और आत्मविश्वास,
क़दमों को गढ़ाये रखा,
साथ अटूट विश्वास |
- अनीता सैनी
ब्लॉग बुलेटिन टीम की और मेरी ओर से आप सब को महाशिवरात्रि पर बधाइयाँ और हार्दिक शुभकामनाएँ |
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 04/03/2019 की बुलेटिन, " महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
सह्रदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
सुन्दर
जवाब देंहटाएंसह्रदय आभार आदरणीय
हटाएंसादर
सुन्दर
जवाब देंहटाएंस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
जवाब देंहटाएंसमय के सागर में
निष्ठा और आत्मविश्वास
क़दमों को गढ़ाए रखा
साथ अटूट विश्वास |
सुंदर लेखन आदरणीया ।
सुक्रिया आदरणीय
हटाएंसादर
बहुत सुंदर रचना सखी
जवाब देंहटाएंआभार सखी
हटाएंस्नेह
सादर
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंप्रणाम आदरणीय
हटाएंसादर
हमेशा की तरह बहुत खूब ......स्नेह सखी
जवाब देंहटाएंस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंजी आभार
हटाएंसादर
समय के सागर में
जवाब देंहटाएंनिष्ठा और आत्मविश्वास क़दमों को गढ़ाए रखा
साथ अटूट विश्वास |
बहुत सुन्दर,सार्थक चिन्तनपरक रचना......
सस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
प्रेरक रचना
जवाब देंहटाएंस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
सुंदर लेखन सखी।
जवाब देंहटाएंस्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
समय के सागर में
जवाब देंहटाएंनिष्ठा और आत्मविश्वास
क़दमों को गढ़ाए रखा
साथ अटूट विश्वास |
अप्रतिम सखी विशेष भाव लिये रचना।
स्नेह आभार सखी
हटाएंसादर
समय के सागर में
जवाब देंहटाएंनिष्ठा और आत्मविश्वास
क़दमों को गढ़ाए रखा
साथ अटूट विश्वास |
अच्छी रचना...अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं.
आभार आदरणीय
जवाब देंहटाएंसादर
विश्वास की डोर हाथ में रहना जरूरी है ... जीवन के लिए ...
जवाब देंहटाएंजी ठिक कहा आदरणीय आप ने
जवाब देंहटाएंप्रणाम
आभार
सादर