चली समय के साथ,
आँकलन साँसों का करती जाओ,
सूखा नीर नयनों का,
मेरी प्रीत जताती जाओ |
उम्र, समय की दासी,
साँझ-सी ढलती जाये,
हाल पूछ बुढ़ापे से,
कर याद जवानी रोये |
समझ सहलाये मन,
बिंब यादों का उभर आया,
वक़्त के घनघोर भँवर में,
उम्र का एक पड़ाव नज़र आया |
तन के मन में झाँकी उम्र,
स्वयं में धँसती जाये,
अंबर की घनघोर घटाएँ,
धरा की बाँहों में सिमटी जायें |
ढहतीं मीनारें इच्छाओं की,
छाया उम्र की मिटती जाये,
समय पथ पर चलती,
उम्र तन से विमुख हो जाये,
झाँकी उस पथ की यादें,
समय के तूफ़ान से घबराती थी,
खंडहर तन की थी साथी,
उम्र उस पर मुस्काती थी |
ओढ़ समय की चादर,
अंकुर नया खिलाया था,
सिमटा समय के हाथों,
उम्र का तावीज़ पहन धरा पर आया था |
-अनीता सैनी
वाहह्हह अनु बहुत सुंदर उम्र के पड़ावों की सुंदर व्याख्या।
जवाब देंहटाएंसार्थक सराहनीय सृजन।
सस्नेह आभार प्रिय श्वेता दी
हटाएंसादर
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय रितु दी
हटाएंसादर
समझ सहलाये मन
जवाब देंहटाएंबिंब यादों का उभर आया
वक्त के घनघोर भंवर में
उम्र का एक पड़ाव नज़र आया
वाह....,समय और उम्र को भला कौन बांध सका
है । गंभीर और सराहनीय सृजन ।
सस्नेह आभार प्रिय मीना जी
हटाएंसादर
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंजी आभार आप का
हटाएंसादर
बहुत सुंदरता से उम्र के पदचापों को इंगित किया है प्रिय बहन।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ।
सस्नेह आभार प्रिय कुसुम दी जी
हटाएंसादर
बेहतरीन रचना सखी 👌
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय अनुराधा दी जी
हटाएंसादर
वक्त के घनघोर भंवर में
जवाब देंहटाएंउम्र का पड़ाव नजर आया
वाहहहहहहहहहहहहहहहक्षक्ष
तहे दिल से आभार आदरणीय आप का
हटाएंसादर
बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय लोकेश जी
हटाएंसादर
लाज़बाब
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार प्रिय उर्मिला दी जी
हटाएंसादर
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार आदरणीय आप का
हटाएंसादर
ढ़हतीं मीनारें इच्छाओं की
जवाब देंहटाएंछाया उम्र की मिटती जाये
समय के पथ पर चलती
उम्र तन से विमुख हो जाये
बहुत ही भावपूर्ण रचना प्रिय अनीता | उम्र के संबध में सबका अनुभव एक सा ही है | ज्यों ज्यों बढती है त्यों त्यों घटती जाती है --
लोग कहते है बढ़ गया एक साल उम्र का
पर एक एक पल के साथ घटती जाती है जिन्दगी !!!!!
सुंदर रचना हार्दिक शुभकामनायें और प्यार |
सस्नेह आभार प्रिय रेणु दी जी
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उम्र, समय की दासी
जवाब देंहटाएंसाँझ सी ढलती जाये ....
सत्य वचन, ढ़लती उम्र कभी भी लौट कर न आने को है।
सहृदय आभार आदरणीय पुरुषोत्तम जी
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उम्र, समय की दासी
जवाब देंहटाएंसाँझ सी ढलती जाये
हाल पूछ बुढ़ापे से
कर याद जवानी रोये
उम्र के पड़ावों पर बहुत ही सुन्दर रचना...
सस्नेह आभार प्रिय सुधा दी जी
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वक्त के घनघोर भंवर में
जवाब देंहटाएंउम्र का एक पड़ाव नज़र आया
वाह....,समय और उम्र को भला कौन बांध सका
...सराहनीय बहुत ही सुन्दर रचना !!
सहृदय आभार आदरणीय
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बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंआदरणीय विश्वमोहन जी सहृदय आभार आप का
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