माँ शारदा शरण में थारी
भाव-भक्ति माळा लाई।
फूल-पता बिछाया आँगणा
मूर्त मन आळा बिठाई।।
कूँची माय स्याह भावों की
कोरो कागज काळजड़ो
आशीर्वचन दे माँ मालिनी
धीरज जोड्याँ हाथ खड़ो
वीणावादनी हँसवाहिनी
ज्ञान घृत दीवट जलाई।।
संगीत-कला री दात्री माँ
श्रद्धा सुमन अर्पित करूँ
घोर साधना डगे न हिवड़ो
जीवण थान समर्पित करूँ
महाभद्रा महामाया माँ
मोळी सूत सज कलाई।।
चित्त च्यानणो भरूँ चाँदनी
नवो गीत नवगीत लिखूँ
थांरो सुंदर मुखड़ों माता
दिवा निशा हरदम निरखूँ
महाविद्या मात मातेश्वरी
पद पंकज हिये समाई।।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
शब्द =अर्थ
थारी =तुम्हारी
माळा =माला, हार
आँगणा =आँगन
आळा =आला, ताक
काळजड़ो=हृदय
दीवट= लकड़ी का वह पुराने ढंग का स्तंभ जिस पर दीया रखा जाता है
घृत = धी
मोळी =मोली
नवो =नया
दिवा-निशा =दिन-रात
माँ शारदे के चरणों में नमन ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर वंदन ... उम्मीद और आशा की देवी हर मनोकामना पूर्ण करती है और लेखन की मनोकामना तो सदा ही पूर्ण करती है ...
बहुत सुन्दर बहुत भावपूर्ण ...
आभारी हूँ आदरणीय सर।
हटाएंआपकी प्रतिक्रिया सर उत्साह द्विगुणित हुआ।
आशीर्वाद बनाए रखें।
सादर
बहुत ही भावपूर्ण एवं भक्तिमय स्तुति माँ सरस्वती को अर्पित।
जवाब देंहटाएंवाह!!!
आभारी हूँ आदरणीय सुधा दी जी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से अत्यंत हर्ष हुआ।
हटाएंसादर
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (01-12-2021) को चर्चा मंच "दम है तो चर्चा करा के देखो" (चर्चा अंक-4265) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभारी हूँ सर चर्चा मंच पर स्थान देने हेतु।
हटाएंसादर
सुन्दर अति सुन्दर, हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।, एक राय मेरी रचना पर भी
जवाब देंहटाएंजी जरुर। बहुत बहुत शुक्रिया।
हटाएंसादर
अभिभूत हूँ इस वंदना का पारायण करके।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ सर।
हटाएंअत्यंत हर्ष हुआ।
सादर
गहन रचना
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ सर।
हटाएंसादर
चित्त चानणों भरूँ चाँदनी
जवाब देंहटाएंनवो गीत नवगीत लिखूँ
थांरो सुंदर मुखड़ों माता
दिवा निशा हरदम निरखूँ…,
माँ शारदे को नमन ! भक्ति भाव और सृजन के प्रति दृढ़ संकल्प के भाव नवगीत को उत्कृष्टता प्रदान कर रहे हैं । अत्यंत मनोहर माँ सरस्वती जी की वन्दना ।
आभारी हूँ आदरणीय मीना दी जी स्नेहिल प्रतिक्रिया से उत्साह द्विगुणित हुआ।
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
सादर
वाह!खूबसूरत सृजन प्रिय अनीता ।माँ शारदा का वरद हस्त सदा आप पर बना रहे ।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ प्रिय शुभा दी जी।
हटाएंस्नेह आशीर्वाद बनाए रखें।
सादर
भाव भीनी वंदना और अरदास।
जवाब देंहटाएंमाँ आपकी लेखनी मैं स्वयं सदा विराजमान रहे, सदा नव सृजन को प्रेरित रहें।
राजस्थानी भाषा में सुंदर बहुत सुंदर प्रार्थना।🌷
आभारी हूँ आदरणीय कुसुम दी जी आपका स्नेह आशीर्वाद मेरा संबल है।
हटाएंस्नेहिल प्रतिक्रिया से उत्साह द्विगुणित हुआ।
सादर स्नेह
बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ आदरणीय दी।
हटाएंसादर
सरस्वती जी की सुंदर आराधना ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय जिज्ञासा दी जी।
हटाएंसादर