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सोमवार, फ़रवरी 14

आखरी कागद


पुलवामा शहीदों की शहादत की तीसरी बरसी पर सादर श्रद्धांजलि!

 

गाँव पुकारे साथी म्हाने

हिवड़े आग ळगावे है।।

धुँधळी-धुँधळी गळियाँ दीसे

सुण! चौपाळ बुळावे है।।


आख्यां बाळू किणकी रड़के 

बाटा जोवे ब्यायेड़ी।

जेठ भीगियो चौमासे सो

छपरा टाटी टूटेड़ी।

काळजड़ा हिळकोरा उठ्ये 

गोड्या नींद सुळावे है।। 


ओल्यू ऊँटा टोळा सरीखी

धरती मनड़ तापड़ पड़े।

खुड़के रेवड़ टाळी बणके

गडरियो शब्दा सुर जड़े।

ढळतो सूरज मनड़ो मोस्ये 

आकुळ मन भरमावे है।।


तारा जड्यो आँचळ ओढ्या 

झोंका लेख लारे खड़ा।

बाँह पकड़ झुळाबै बैरी

काची कोंपळ ठूँठ जड़ा।

छोड़ घरौंदा पाखी उडिया

माँ, लाडो बिळखावे  है।।


@अनीता सैनी 'दीप्ति' 


शब्दार्थ 

ळगावे-लगाना 

धुँधळी-धुँधळी=धुँधली-धुँधली 

गळियाँ-गलियाँ  

बुळावे-बुलाना 

बाळू किणकी-रेत के कण 

ब्यायेड़ी-ब्याहता स्त्री 

काळजड़ा-हृदय ,कलेजा 

हिळकोरा-लहर 

गोड्या-गोदी 

सुळावे-सुलाना 

टोळा -समूह या टोला 

सरीखी-जैसे 

तापड़-पैरों की ध्वनि

ढळतो-ढलना 

लेख -विधना के लेख या लेखा 

लारे -पीछे 

बिळखावे-बिलखना 

20 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 16 फरवरी 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया मंच पर स्थान देने हेतु।
      सादर

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  2. बहुत मर्मस्पर्शी भावात्मक कृति । पुलवामा शहीदों को शत शत नमन !

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    1. हृदय से आभार आदरणीय मीना दी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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  3. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (16-02-2022) को चर्चा मंच      "भँवरा शराबी हो गया"    (चर्चा अंक-4343)      पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर मंच पर स्थान देने हेतु।
      सादर

      हटाएं
  4. शब्द शब्द मन से फुटते से लगे। कोई इतना कैसे किसी को समझ सकता है।
    काळजड़ा हिळकोरा उठ्ये
    गोड्या नींद सुळावे है।। एक गहरी साँस के साथ डूब गया... कैसे लिख लेती हो।

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  5. पूरा शब्द चित्र खींच दिया । मर्मस्पर्शी रचना ।

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    1. हृदय से आभार आदरणीय संगीता दी जी सृजन सार्थक हुआ आपकी प्रतिक्रिया मिली।
      सादर

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  6. मर्म को छूता हुआ ...
    भावों का सैलाब उमड़ आया है जैसे ... नमन है मेरा ...

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    1. हृदय से आभार सर सृजन सार्थक हुआ।
      सादर

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  7. बहुत ही हृदयस्पर्शी सृजन।
    दिल को छू गयी रचना
    लाजवाब।

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    1. हृदय से आभार आदरणीय सुधा दी जी।
      सादर

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  8. ओल्यू ऊँटा टोळा सरीखी

    धरती मनड़ तापड़ पड़े।

    खुड़के रेवड़ टाळी बणके

    गडरियो शब्दा सुर जड़े।

    ढळतो सूरज मनड़ो मोस्ये

    आकुळ मन भरमावे है।।
    अत्यंत मार्मिक रचना एक-एक पंक्ति बहुत ही भावनात्मक है!

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    उत्तर
    1. हृदय से आभार प्रिय मनीषा जी।
      सादर स्नेह

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  9. घर से दूर सीमा पर प्रतिकूल परिस्थितियों में वीर सैनिकों के मन के द्रवित भाव पढ़ मन भी द्रवित हो गया।
    सादर नमन 🙏🏼
    बहुत सुंदर सृजन हृदय में गहरा उतरता।।

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    1. हृदय से आभार आदरणीय कुसुम दी जी सृजन का मर्म आपके हृदय तक पहुंचा। लिखना सार्थक हुआ। स्नेह आशीर्वाद बनाए रखें।
      सादर

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  10. बेहद हृदयस्पर्शी सृजन।

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