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रविवार, फ़रवरी 20

कैसे लिखूँ?


प्रेम लिखूँ! हठ बौराया है 

कैसे?शब्दों का टोकना लिखूँ 

उपमा उत्प्रेक्षा का रूठना 

कैसे स्मृतियों में ढूंढ़ना लिखूँ ?


 कैसे लिखूँ?

मनोभावों के झोंके को

ठहरे जल में उठती हिलोरों को 

कैसे कुहासे-सी चेतना लिखूँ?


अकेलेपन के अबोले शब्द 

अधीर चित्त की छटपटाहट

उफनती भावों की नदी को 

कैसे अल्पविराम पर ठहरना लिखूँ?


इक्के-दुक्के तारों की चमक 

गोद अवचेतन की चेतना 

अकुलाहट मौन हृदय की

कैसे रात्रि का संवरना लिखूँ?


निरुत्तर हुई व्याकुलता

अन्तर्भावना वैराग्य-सी 

प्रेमी प्रेम का प्रतिरूप

कैसे मौन स्पंदन में डूबना लिखूँ?


@अनीता सैनी 'दीप्ति'

34 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ मत लिखिए , बस बहने दें भावों को तो सब भाव खुद ही शब्दों में ढल जाएंगे ।
    मनोदशा का सटीक चित्रण।

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    1. हृदय से आभार आपका आदरणीय संगीता दी जी।
      सादर

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  2. अकेलेपन के अबोले शब्द
    अधीर चित्त की छटपटाहट
    उफनती भावों की नदी को
    कैसे अल्पविराम पर ठहरना लिखूँ?
    जो अपने भावों को लिखकर अभिव्यक्त करने की आदत डाल चुका, उसकी लेखनी में ठहराव आ जाए तो एक कसमसाहट, एक बेचैनी, एक अधीरता निरंतर उसे सालती है। फिर यह लगना भी लाजिमी है कि समंदर से उफनते भावों को नन्हीं सी कलम उतार भी पाएगी सही से ?
    हर रचनाकार को कभी ना कभी ये विचार आते हैं। उसकी कलम की ताकत को वह कम आँकता है पर जौहरी से पाठक उसकी परख करना खूब जानते हैं।
    जैसे ये छंद पढ़ते ही मन इस पर अटक सा गया -
    अकेलेपन के अबोले शब्द
    अधीर चित्त की छटपटाहट
    उफनती भावों की नदी को
    कैसे अल्पविराम पर ठहरना लिखूँ?
    बहुत ही सुगढ़, सार्थक सृजन। सस्नेह।

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    उत्तर
    1. हृदय से आभार आदरणीय मीना दी जी सारगर्भित
      प्रतिक्रिया हेतु।
      आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा।
      सादर

      हटाएं
  3. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (21-02-2022 ) को 'सत्य-अहिंसा की राहों पर, चलना है आसान नहीं' (चर्चा अंक 4347) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:30 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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    1. हृदय से आभार आदरणीय रविंद्र जी सर मंच पर स्थान देने हेतु।
      सादर

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  4. अप्रतिम सृजन प्रिय अनिता ।
    प्रेम जैसी विराट अनुभूति को लिखना सचमुच असंभव है, जिसे किसी भी अलंकार से सजा दो वह अधूरा ही दिखेगा।
    भाषा शिल्प के ठहराव कहां अनंत उद्धाम प्रेम को बांध पायेंगे।
    अद्भुत सृजन।

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    1. दिल से आभार प्रिय कुसुम दी जी ममतामय प्रतिक्रिया शब्दों में झलकता अपार स्नेह संबल है मेरा। आशीर्वाद बनाए रखें।
      सादर

      हटाएं
  5. अकेलेपन के अबोले शब्द
    अधीर चित्त की छटपटाहट
    उफनती भावों की नदी को
    कैसे अल्पविराम पर ठहरना लिखूँ?

    हृदय के भावों को व्यक्त करती बहुत ही भावपूर्ण व हृदयस्पर्शी रचना!
    कैसे लिखूं कह कर ही आपने बहुत कुछ लिख दिया और बयां कर दिया प्रिय मैम!

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    उत्तर
    1. हृदय से आभार प्रिय मनीषा जी।
      बहुत सारा स्नेह

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  6. मन को छूती बहुत ही सुंदर रचना
    बधाई

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  7. निर्झरिणी से बहते भाव कुछ भी नहीं कह कर सब कुछ कह गए ॥
    अत्यंत सुंदर भावाभिव्यक्ति प्रिय अनीता जी!

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    उत्तर
    1. हृदय से आभार आदरणीय मीना दी जी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      स्नेह आशीर्वाद बनाए रखें।
      सादर

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  8. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना

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  9. बहुत ख़ूब,
    अब चाहे लिखो या न भी लिखो, जिस तक पहुंचानी थी बात, उस तक तो पहुँच ही गयी.

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    उत्तर
    1. हार्दिक आभार सर आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा।
      आशीर्वाद बनाए रखें।
      सादर

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  10. भाव का अविरल प्रवाह बहता है ... बहने दें ...

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  11. बेशक बहुत सुंदर लेखन और अति उत्तम ब्लॉग बधाई देता हूं

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    1. आपका स्वागत है आदरणीय।
      हृदय से आभार आपका मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर नमस्कार

      हटाएं
  12. मनोभाव अनलिखे ही अच्छे।
    बेहतरीन

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  13. मन में उमड़ते प्रेम के सुंदर अहसास को आख़िर लेखनी ने भाँप लिया और अविरल धार प्रवाहित हो गई ..
    बहुत सराहनीय सृजन !

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    उत्तर
    1. हृदय से आभार आदरणीय जिज्ञासा दी जी।
      सादर स्नेह

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  14. उत्तर
    1. हृदय से आभार आदरणीय जोशी जी सर।
      सादर

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  15. बहुत सुंदर रचना। बधाई।💐

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