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मंगलवार, जुलाई 25

सम्मोहन


सम्मोहन /अनीता सैनी 'दीप्ति'

जब कभी भी मैं 

कल्पना के एक छोर को 

अफलातून की

कल्पना शक्ति से बाँधती हूँ

तब वह मुझे

इस अँधेरी गुफा से बाहर 

निकालने का

भरसक प्रयास करती है

उजाले का सम्मोहन

आग के उस पार डोलती

परछाइयों का बुलावा 

प्रकृति के प्रकृतिमय 

एक-एक चित्र में रंग भरने के साथ 

प्राण फूँकने की प्रक्रिया का रहस्य 

गुफा के द्वार की ओर

पीठ नहीं 

मुँह करने का आग्रह करती है 

होता है; होता है कि रट से परे 

कौन? कैसे होता है?

भी पढ़ने का इशारा करती है

परंतु मेरा मन है कि 

किवाड़ के पीछे 

जंग खाई कील पर अटका है।


5 टिप्‍पणियां:


  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 26 जुलाई 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
    >>>>>>><<<<<<<

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  2. आपके द्वारा लिखे गए लेख काफी सुन्दर हैं, मै तो एक समय के लिए इनमे खो ही गया था

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  3. मन ऐसा ही है, आकाश सम्मुख हो पर उसे तो धरा का आकर्षण ही चाहिए

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