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शनिवार, दिसंबर 9

उसकी चेतना


उसकी चेतना / अनीता सैनी ‘दीप्ति’
उसकी चेतना 
मेरे अवचेतन में
है, बिछी 
सांसों की नमी से अँकुराती 
भावों की
धूप से पुष्पित-पल्लवित
अबुझे
फूल-सी हृदय में है,छिपी
अंतस में कुलबुलाती
मौन है,मंढे
मरु कणिका चंचला चंद्र प्रिया 
है,अति व्यग्र
नित नई उपमाएँ लिए कविता
है,गढ़े।

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 10 दिसम्बर 2023 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. वाह! प्रिय अनीता ,सुंदर मनोभावों से सजी ,सुंदर रचना ।

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  3. वाह! बहुत सुन्दर भावविभोर रचना।

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  4. वाह! सुंदर प्रतीकों का शब्दचित्र!
    बहुत शुभकामनाएं।

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