थार की धूल में,
पावन बयार बन बही,
पावन बयार बन बही,
अभिमंत्रित अविरल,
अभिसंचित थी जग में,
अभिसंचित थी जग में,
महकी कुडकी की,
मोहक मिट्टी में,
मोहक मिट्टी में,
कान्हा-प्रेम के प्रसून-सी,
प्रीत के पालने में पली थी वह।
प्रीत के पालने में पली थी वह।
झील के निर्झर किनारे पर,
गूँज भक्ति की,
गूँज भक्ति की,
अंतरमन को कचोटती,
व्याकुल कथा-सी थी वह ।
व्याकुल कथा-सी थी वह ।
जेठ की दोपहरी,
लू के थपेड़ों में ढलती,
लू के थपेड़ों में ढलती,
खेजड़ी की छाँव को,
तलाशती तपिश थी वह ।
तलाशती तपिश थी वह ।
सूर्यास्त के इंतज़ार में,
जलती धरा-सी,
जलती धरा-सी,
क्षितिज के उस पार,
आलोकित लालिमा-सी थी वह।
आलोकित लालिमा-सी थी वह।
अकल्पित अयाचित,
उत्ताल लहर बन लहरायी,
उत्ताल लहर बन लहरायी,
मेवाड़ के चप्पे-चप्पे में,
चिर-काल तक चलती,
हवाओं में गूँजती,
प्रेमल साहित्यिक सदा थी वह।
चिर-काल तक चलती,
हवाओं में गूँजती,
प्रेमल साहित्यिक सदा थी वह।
जग के सटे लिलारों पर लिखी,
प्रेम की अमर कहानी,
प्रेम की अमर कहानी,
उदासी, वेदना, करुणा की,
एकांत संगिनी थी वह ।
एकांत संगिनी थी वह ।
करती निस्पंद पीटती लीक,
पगडंडियाँ-सी ,
पगडंडियाँ-सी ,
प्रीत की पतवार से खेती नैया,
लेकर आयी मर्म-पुकार,
लेकर आयी मर्म-पुकार,
रौबीले रेतीले तूफ़ान में,
स्पंदित आनंदित हो ढली,
स्पंदित आनंदित हो ढली,
वैसी शीतल अनल-शिखा-सी,
ज़माने में फिर न उठी न दिखी थी वह।
ज़माने में फिर न उठी न दिखी थी वह।
© अनीता सैनी
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (29-01-2020) को "तान वीणा की माता सुना दीजिए" (चर्चा अंक - 3595) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सहृदय आभार आदरणीय चर्चामंच पर मेरी रचना को स्थान देने हेतु.
हटाएंसादर
वाह अद्भुत! मीरा बाई के समर्पित प्रेम की प्रगाढ़ गाथा दोहराता सुंदर सृजन ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन किया आपने अनिता मीरा बाई का पूरा चित्ररत कर दिया सरस मोहक भाषा में ।
सादर आभार आदरणीया दीदी रचना का मर्म स्पष्ट करती सुन्दर सारगर्भित समीक्षा हेतु.आपके स्नेह सानिध्य से आपार हर्षित हूँ.यों ही आशीर्वाद मिलता रहे.
हटाएंसादर स्नेह
राजस्थान की धरती का गौरव ज्ञान और कृष्णभक्ति की अद्भुत मिशाल कवयित्री मीरा बाई के किरदार को मार्मिकता के साथ प्रस्तुत किया है.
जवाब देंहटाएंएक विराट व्यक्तित्व की स्थानीय परिवेश से जोड़कर हृदयस्पर्शी झलक रचना को सारगर्भित बनाती है.
रचना में भावबोध के साथ प्रकृति चित्रण काव्य-सौंदर्य बढ़ाने वाले हैं.
सादर आभार आदरणीय सर रचना का मर्म स्पष्ट करती सारगर्भित समीक्षा हेतु.आपका आशीर्वाद यों ही बना रहे.
हटाएंसादर आभार
मेवाड़ के चप्पे-चप्पे में,
जवाब देंहटाएंचिर-काल तक चलती,
हवाओं में गूँजती,
प्रेमल साहित्यिक सदा थी वह।
अद्भुत चिन्तन और लाजवाब सृजन । लिखती रहिए ...आपका चिन्तन बेहद प्रभावी होता है ।
सादर आभार आदरणीया मीना दीदी सुन्दर एवं उत्साहवर्धक
हटाएंसमीक्षा हेतु. सँबल मिला आपकी मोहक समीक्षा से
सस्नेह और सानिध्य यों ही बनाएं रखे.
सादर
जवाब देंहटाएंअकल्पित अयाचित,
उत्ताल लहर बन लहरायी,
मेवाड़ के चप्पे-चप्पे में,
चिर-काल तक चलती,
हवाओं में गूँजती,
प्रेमल साहित्यिक सदा थी वह।
मीरा जैसी साहित्यिक सदा राजस्थान की मिट्टी और मेवाड़ की बयार.... वाह!!!
क्या कहने!!!!निःशब्दहूँ अनीता जी आपके अद्भुत लेखन पर...अनन्त शुभकामनाएं आपको।
सादर आभार आदरणीया दीदी रचना का मर्म स्पष्ट करती सारगर्भित समीक्षा हेतु. आशीर्वाद बनाएँ रखे.
हटाएंसादर
निःशब्द हूँ आपकी लेखन शैली से ,
जवाब देंहटाएंखुशकिस्मत हूँ आपको पढ़ पा रही हूँ और आप सब का साथ मिला
सादर आभार आदरणीया दीदी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
हटाएंनि:शब्द हूँ सुन्दर सराहना से स्नेह बनये रखे.
सादर
अकल्पित अयाचित,
जवाब देंहटाएंउत्ताल लहर बन लहरायी,
मेवाड़ के चप्पे-चप्पे में,
चिर-काल तक चलती,
हवाओं में गूँजती,
प्रेमल साहित्यिक सदा थी वह।
बहुत खूब अनीता जी ,लाज़बाब सृजन ,राजस्थान के मिटटी के कण कण में वीरता और प्रेम दोनों समाहित हैं
और आपने इसका सुंदर चित्रण किया ,सादर स्नेह आपको
सादर आभार आदरणीया कामिनी दीदी सारगर्भित समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
बहुत ही सुन्दर रचना सखी
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीया दीदी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
बहुत सुन्दर अनीता !
जवाब देंहटाएंमीरा के व्यक्तित्व और कृतित्व को तुमने ख़ूबसूरती के साथ अपनी कविता में उकेर दिया.
मेरी दृष्टि में यह तुम्हारी सर्वश्रेष्ठ रचना है.
सहृदय आभार आदरणीय सुन्दर समीक्षा से रचना को नवाज़ने हेतु. उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु बहुत बहुत शुक्रिया आपका
हटाएंसादर
वाह!!प्रिय सखी अनीता , मीराबाई के भजनों की गूँज हमेशा हमारे हृदय को आह्ललादित करती है ।आपने तो अपने सुंदर शब्दों के द्वारा उने संपूर्ण व्यक्तितव को साकार कर दिया है !
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार आदरणीया दीदी सुन्दर समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर स्नेह
प्रेम व भक्ति भाव का मिश्रण अद्भुत।
जवाब देंहटाएंआला पोस्ट।
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है- लोकतंत्र
सहृदय आभार आदरणीय उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
हटाएंसादर
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार २० मार्च २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
पावन प्रेम की अनोखी प्रतीक संत मीराबाई का यह शब्दचित्र मन को पवित्रता और शांति के भावों से भर देता है। बहुत सुंदर रचना।
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