सर्द हवाएँ सिमटी
पथ पर दीप जला रही
उत्साह , उमंग , पुष्प उम्मीद के
प्रण गुलदस्ते गूँथ रही।
रिक्त हुए जीवन के संग
कर्म टोकरी टटोल रही
उम्मीद दीप नयन में जला
प्रण गुलदस्ते गूँथ रही।
नव प्रभात का पुष्प खिला
हृदय में मुस्कान फैला रहा
समय में सिमटी तृष्णा
प्रण गुलदस्ते गूँथ रही।
जनमानस की थामे अँगुली
नव वर्ष राह दिखा रही
फाल्गुन के अंतिम पहर में
प्रण गुलदस्ते गूँथ रही।
#अनीता सैनी