आज ब्लॉग की दुनिया में क़दम रखे मेरा एक साल पूर्ण हुआ,
सभी का स्नेह और सानिध्य मिला,
कहने को आभासी दुनिया पर दिल का रिश्ता सभी से जुड़ा मिला |
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ख़ामोशियों संग अंतरमन से बातें करूँ,
सुनूँ दिल की किसी से कुछ न कहूँ |
लोटे में बंद समुंदर बन झाँक रही दुनिया,
मुस्कुराये ये जहां मैं अदब से देखती रहूँ |
इसी आदत ने थमायी हाथों में क़लम,
सफ़र अनजान मैं मुसाफ़िर बन रहूँ |
काग़ज़,क़लम संग ज़िंदगी मसि बन गयी,
ख़ुशनुमा राह लेखन मैं डग भरती रहूँ |
ब्लॉग जगत में गुज़रा एक साल
जज़्बात के समुंदर में बहती
दुनिया को एक टक निहारती रहूँ |
स्नेह ,सम्मान का मिला भंडार
बहन यशोदा का सानिध्य संजोती
सखी श्वेता के मार्गदर्शन में लिखती रहूँ |
सुनूँ दिल की किसी से कुछ न कहूँ |
लोटे में बंद समुंदर बन झाँक रही दुनिया,
मुस्कुराये ये जहां मैं अदब से देखती रहूँ |
इसी आदत ने थमायी हाथों में क़लम,
सफ़र अनजान मैं मुसाफ़िर बन रहूँ |
काग़ज़,क़लम संग ज़िंदगी मसि बन गयी,
ख़ुशनुमा राह लेखन मैं डग भरती रहूँ |
ब्लॉग जगत में गुज़रा एक साल
जज़्बात के समुंदर में बहती
दुनिया को एक टक निहारती रहूँ |
स्नेह ,सम्मान का मिला भंडार
बहन यशोदा का सानिध्य संजोती
सखी श्वेता के मार्गदर्शन में लिखती रहूँ |
कुसुम बहन ने ख़ूब सराहा
रेणु बहन ने दिया स्नेह
दुआ अनजानी दर्द हरती रही
रिश्ता प्रगाढ़
दुआ अनजानी दर्द हरती रही
रिश्ता प्रगाढ़
मैं ब्लॉग संग सब की स्नेही बन रहूँ |
अँधेरी राह में
आत्मविश्वास साथ चलने लगा
ख़ामोशियाँ बातों में निमग्न
आत्मविश्वास साथ चलने लगा
ख़ामोशियाँ बातों में निमग्न
तन्हाइयाँ मुस्कुराने लगी
ज़िंदगी भी अब कुछ बदल सी गयी
मिले न मंज़िल इस सफ़र में मुसाफ़िर बन रहूँ |
--अनीता सैनी
ज़िंदगी भी अब कुछ बदल सी गयी
मिले न मंज़िल इस सफ़र में मुसाफ़िर बन रहूँ |
--अनीता सैनी