गुरुर धधक रहा सीने में ,
पगड़ी पहन स्वाभिमान की,
अंगारों पर चलता हूँ।
आग़ोश में मोहब्बत ,
आँचल में उम्मीद समेटे,
निश्छल नित्य आगमन करता हूँ।
ख़ुशियों का मोहताज़ नहीं ,
ग़मों से बातें करता
फ़सलों संग इठलाता हूँ।
सूरज-चाँद-सितारे,साथी मेरे ,
जीवन के राग
मोहब्बत का गान सुनता हूँ।
मेहनत करना काम मेरा,
मेहनत ही रहा ईमान मेरा
मेहनत की रोटी खाता हूँ।
आन-बान-शान,
मान जीवन के साथी
सीने से इन्हें लगाता,
किसान हूँ,
अन्नदाता कहलाता हूँ।
@अनीता सैनी