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रविवार, मई 24

अधमरे अख़बार के पलटे पन्ने, उठते तूफ़ान की नहीं कोई ख़बर...



आज सुबह अधमरे अख़बार के पलटती पन्ने,
 उठते तूफ़ान की नहीं कोई ख़बर।  
शहर की ख़ामोशी में चारों ओर शांति ही शांति 
नहीं कोहराम का कोई कोंधता आलाप।  

एक माँ चीख़ी...
 बच्चे की थी करुण पुकार 
जग ने कहा -
माँ-बेटे की पीड़ा का विलाप! नहीं नियति पर ज़ोर। 
पूछ-पूछ पता घरों का, देगा दस्तक यह तूफ़ान 
बाक़ी मग्न झूमो जीवन में सुख का थामे छोर।  

दीन-दुनिया से बेख़बर व्यस्तता की 
महीन चादर ओढ़े  दौड़ रहे सब ओर। 
सूरज बरसाता चिलचिलाती धूप पृथ्वी पर 
हवा भी मंद-मंद झूम रही एक ओर। 

बुरा न देखो, बुरा न सुनो, बुरा न कहो 
उमसाए सन्नाटे ने बाँधी ज़ुबाँ की डोर। 
अंतस में उमड़े सैलाब को न कहो तूफ़ान  
पत्ते गिरे होंगे पेड़ों से! भ्रम ने थामी होगी डोर। 

©अनीता सैनी'दीप्ति'

29 टिप्‍पणियां:

  1. जब भी कोई आफत आती है तो वह गरीब का घर ही पूछती है, उनके लिए कोई शोर मचाने वाला नहीं होता
    बहुत सही सामयिक चिंतन प्रस्तुति

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    1. सादर आभार आदरणीया दीदी सुंदर सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु.
      सादर

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  2. बहुत सुंदर और सटीक प्रस्तुति 👌

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    1. सादर आभार आदरणीया दीदी स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे.
      सादर

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  3. उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय सर आशीर्वाद बनाए रखे.
      सादर

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  4. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 24 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सादर आभार आदरणीय सर सांध्य दैनिक पर मेरे सृजन को स्थान देने हेतु.
      सादर

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  5. उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय सर आशीर्वाद बनाए रखे.
      सादर

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  6. बहुत सुंदर समसामयिक प्रस्तुति बहना👌👌👌

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    1. सादर आभार आदरणीय दीदी स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे.
      सादर

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  7. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (25 मई 2020) को 'पेड़ों पर पकती हैं बेल' (चर्चा अंक 3712) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव

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    1. सादर आभार आदरणीय सर चर्चामंच पर स्थान देने हेतु.
      सादर

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  8. उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय सर आशीर्वाद बनाए रखे.
      सादर

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  9. हर बार की तरह समसामयिक विषयों पर कलम का प्रहार

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    1. सादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया
      हेतु.
      सादर

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  10. हृदस्पर्शी ,मार्मिक रचना,दिल दहला देती ऐसी खबरें ,असहाय की चीखें दबकर रह जाती है ,बहुत बढ़िया बहना ,अच्छा लिखती हो

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    1. सादर आभार आदरणीया दीदी मनोबल बढ़ाती सुंदर सारगर्भित समीक्षा हेतु. स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे.
      सादर

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    2. बिल्कुल ,दीदी कहती हो ,छोटी बहन पर बड़ी बहन का स्नेह आशीर्वाद सदैव बना रहेगा ,खुश रहो

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    3. सस्नेह आभार आदरणीय दीदी.
      सादर स्नेह

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  11. हृदयस्पर्शी सृजन अनीता जी ,हर बिपदा तो गरीबों को ही सबसे ज्यादा रुलाती है

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    1. सादर आभार आदरणीया दीदी मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु.
      सादर

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