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शनिवार, अगस्त 14

लू



 तपती बालुका पर दौड़ती लू

फफोलों को पाँव से हटाती है

पदचाप धोरे दामन से मिटाती

सूरज बादलों से ढकती है।


मरुस्थल के मौन को तोड़ती 

 कहानियों के पन्ने झोंके संग पलटती है

पीठ पर लादे गोबर के कंडे 

हिय के संताप से झुलसाती है।


कोई  टीस उठी होगी हृदय में 

पलकों को खारे पानी से धोती है

सूखे पत्तों-सी झरती साँसें उठाए

धूप में गगरी उम्मीद की भरने निकलती है।


अश्रुभार गले में मुक्ताहार 

 स्वछंदता की ओढ़नी ओढ़ा करती है

वर्तमान की पूरती चौकी आटे से

सकारात्मकता का पाठ पढ़ाती है।


@अनीता सैनी 'दीप्ति'

28 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 15 अगस्त 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. आभारी हूँ सर मंच पर स्थान देने हेतु।
      सादर

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  2. मरुस्थल के मौन को तोड़ती
    कहानियों के पन्ने झोंके संग पलटती है
    पीठ पर लादे गोबर के कंडे
    हिय के संताप से झुलसाती है।
    मरुभूमि में चलती तप्त हवा 'लू' का मानवीकरण...अत्यंत सुन्दर और हृदयस्पर्शी सृजन ।

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    1. दिल सें आभार आदरणीया मीना दी उत्साहवर्धन हेतु।
      सादर

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  3. लू भी कितने पाठ पढ़ा जाती है , ये तो आज ही पता चला । सुंदर भावाभिव्यक्ति ।

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    1. आभारी हूँ आदरणीया संगीता दी आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा आपने सही कहा प्रकृति का प्रत्येक रुप कुछ न कुछ सीख अवश्य देता है हमारे एहसास पर है।
      आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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  4. वाह बेहतरीन रचना सखी।

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  5. बहुत ही मार्मिक और हृदयस्पर्शी रचना!
    जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं मैम!आपकी जिंदगी जितनी लंबी उससे कहीं ज्यादा बड़ी हो और आप कामयाबी की नई बुलंदियों तक पहुंचे !आप हमेशा खुश और मुस्कुराती रहे!आपके जीवन में कभी भी प्यार और अपनेपन की कमी ना हो हमेशा अपनों का साथ बना रहे!

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  6. बहुत सुंदर। जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। आप हमेशा खुश रहे।

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  7. वाह!प्रिय अनीता ,सुंदर सृजन ।

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  8. बहुत ही अच्छी रचना।
    जीवन भी एक मरुस्थल है, पर हमें चलना होगा।

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  9. जीवन की सीख कहां से किस रूप में मिल जाय,एक कवि मन ही समझ सकता ।सुंदर भावों भरी रचना ।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय जिज्ञासा जी।
      सादर

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  10. ये लू ही है या उसके माध्यम से दिल की व्यथा को स्पर्श किया है ... पर हर थपेड़ा विविध होता है बहुत कुछ अनकहे कह जाता है ...

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    1. आभारी हूँ आदरणीय नासवा जी सर।
      सच लू ही है 😊
      आपकी प्रतिक्रिया हमेशा मेरा संबल बढ़ाती हैं।
      सादर

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