शशि संग अनुराग अनूठा ,
हृदय में वात्सल्य भाव उठा,
दहलीज़ का दामन डोल,
शशि-किरणों का किया शृंगार |
नाज़ुक हाथ,
थामें प्रीत के कोमल तार,
मुग्ध भाव से बिखेर रही,
मन भावों के तार |
प्रीत रुप शृंगार किया,
अधरों पर मीठी मुस्कान,
कल्पित कृति बोल उठी,
किया मन भावों का शृंगार |
नाम मानव दिया,
स्नेह, संवेदना प्रवाह किया,
करुणा रुप धर अँजुली में,
सोये हृदय पर किया सवार |
शशि का तेज़,
नीर नयन में तार दिया,
पवन की पीर दबा हृदय,
प्राणों का किया संचार |
द्वेष भाव का ओझल रंग,
मानव मन पर सवार हुआ,
किया सुन्दर कृति का संहार,
महक रही प्रीत की बस्ती,
अँगारों में दिया तार |
भूल गया अस्तित्त्व अपना,
घटना को दिल में उतार लिया,
मूक द्वेष के शब्द गहरे,
द्वेष बना अभिशाप मनु का ,
प्रीत का दामन हुआ तार-तार |
- अनीता सैनी