सैकत बन फिसल रहा धड़कनों की अँजुली से मुहब्बत में गूँथा कल दर्द में मुस्कुराता पल | मुस्कुराने की आदत ग़मों को मात दे गयी , मुस्कुराती तस्वीर तुम्हारी आँखें नम कर गयी | इत्तिफ़ाक़ से लौट आना महफ़िल फिर सजा देंगें, क़दमों के निशां उस दर से अपने हाथों से मिटा देंगें | -अनीता सैनी