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गुरुवार, फ़रवरी 6

पंखुड़ी-सा स्मृति-वृंद



परिमल महक,पंखुड़ी-सा स्मृति-वृंद, 
चहुं-दिशि हरित-छटाएँ फैलाती है,  
 खनकती पायल-सी अंतरमन में, 
गूँजती हृदय में भँवरे की गुँजार है। 

नयनों पर मायाविनी-सी रचती, 
कुछ पल सपनों का संसार है, 
लताओं के कुँज में छिपी, 
अहर्निश प्रतीक्षा बारंबार है। 

नीरव-सा नीरस एकांत,  
दर्शाती आयरिस आँखों की,  
सूनेपन की उमड़ी दारुण कथा, 
खारे पानी का बहता बहाव है, 
व्यंग्य भाव से झूलती झूला, 
 कहती यही जीवन की बहार है।

मरु-से मन में फिरती मरीचि-सी, 
 विहगावली-सा डोलता सुन्दर संसार है, 
सूने आँगन में लहरायी बल्लरियों-सी, 
गुज़रते समय ने किया उपहास है, 
लौकिक वेदना का मरहम गोद प्रकृति की, 
मूक व्यथा का बिखरा मुक्ता-हार है

©अनीता सैनी 

22 टिप्‍पणियां:

  1. नीरव-सा नीरस एकांत,
    दर्शाती आयरिस आँखों की,
    सूनेपन की उमड़ी दारुण कथा,
    खारे पानी का बहता बहाव है,
    व्यंग्य भाव से झूलती झूला,
    कहती यही जीवन की बहार है।
    --
    बहुत सुन्दर भावप्रवण रचना।

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    1. सादर आभार आदरणीय सुन्दर समीक्षा हेतु.

      हटाएं
  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (07-02-2020) को "गमों के बोझ का साया बहुत घनेरा "(चर्चा अंक - 3604) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है ….
    अनीता लागुरी 'अनु '

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    उत्तर
    1. सस्नेह आभार प्रिय अनु चर्चा में स्थान देने हेतु.
      सादर

      हटाएं
  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ७ फरवरी २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. सस्नेह आभार प्रिय श्वेता दी पांच लिंकों पर स्थान देने हेतु.
      सादर स्नेह

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  4. बहुत ही सुंदर रचना । बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ ।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर
      सादर

      हटाएं
  5. सुंदर सृजन
    सुंदर भाव

    जवाब देंहटाएं
  6. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (08-02-2020) को शब्द-सृजन-7 'पाँखुरी'/'पँखुड़ी' ( चर्चा अंक 3605) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव



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    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय सर मेरी रचना को स्थान देने हेतु.
      सादर

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  7. प्रकृति के सौंदर्य को स्मृति के साथ बहुत सुंदर ढंग से जोड़ कर बहुत सुंदर सृजन।

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    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीया कुसुम दीदी रचना को सुन्दर समीक्षा से नवाज़ने हेतु.
      सादर

      हटाएं

  8. परिमल महक,पंखुड़ी-सा स्मृति-वृंद,
    चहुं-दिशि हरित-छटाएँ फैलाती है,
    खनकती पायल-सी अंतरमन में,
    गूँजती हृदय में भँवरे की गुँजार है

    बहुत खूब.... ,लाज़बाब.. अनीता जी ,सादर स्नेह

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    1. सादर आभार आदरणीया कामिनी दीदी आपकी समीक्षा ने रचना की और सुन्दर बना दिया आपका स्नेह सानिध्य यों ही बना रहे.
      सादर स्नेह

      हटाएं
  9. आपकी कव‍िताओं में महादेवी वर्मा की प्रत‍िकृत‍ि म‍िलती है ... बहुत खूब ल‍िखती हैं अनीता जी

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    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीया अलकन्दा दीदी नि:शब्द हूँ आपकी उत्साहवर्धक समीक्षा से आपने आज अनमोल उपमा से नवाज़ा है मेरी लेखनी को.... मेरे लेखन में एक महान लेखिका के लेखन की प्रतिकृति आप को नज़र आयी यह सौभाग्य है मेरा... आपका मार्गदर्शन यों ही मिलता रहे.
      सादर आभार

      हटाएं
  10. नीरव-सा नीरस एकांत,
    दर्शाती आयरिस आँखों की,
    सूनेपन की उमड़ी दारुण कथा,
    खारे पानी का बहता बहाव है,
    व्यंग्य भाव से झूलती झूला,
    कहती यही जीवन की बहार है।
    वाह!!!!
    क्या बात....
    निःशब्द हूँ मैं तो
    बस लाजवाब ....बहुत लाजवाब।

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    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीया सुधा दीदी हमेशा ही आपकी समीक्षा मेरा मनोबल बढ़ाती है अपना स्नेह सानिध्य बनाये रखे.

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  11. उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीया सदा दीदी जी मेरा मनोबल बढ़ाने हेतु. आपका मार्गदर्शन मिलता रहे.
      सादर स्नेह

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