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शनिवार, मई 30

शलभ नहीं, न ही जलती बाती बनना



शलभ नहीं, न ही जलती बाती बनना 
 वे प्रज्जवलित दीप बनना चाहते हैं। 
 अँधियारी गलियों को मिटाने का दम भरते 
 चौखट का उजाला दस्तूर से बुझाना चाहते हैं।  

मरु में राह की लकीर खींच आँधी बुलाते  
कंधों पर लादे ग़ुरुर सहानुभूति थमाना चाहते हैं। 
मिटने की नहीं मिटाने की तत्परता से 
क्रांति का बिगुल क्रान्तिकारी बन बजाना चाहते हैं।  

जगना नहीं जग को जगाने  की प्रवृत्ति लिए 
बुद्धि की कतार में नाम दर्ज करवाना चाहते हैं।  
द्वेष घोलते परिवेश में शब्दों के महानायक 
प्रीत की  नई परिभाषा गढ़ना चाहते हैं।  

लम में महत्त्वाकांक्षा की मसी का उफान 
 विश्व का उद्धार एक पल में लिखना चाहते हैं।  
अतीत को पलटते ग़लतियाँ समझाते सबल 
वर्तमान को कुचलते भविष्य को नोचना चाहते हैं।  

© अनीता सैनी 'दीप्ति'

22 टिप्‍पणियां:

  1. क़लम में महत्त्वाकांक्षा की मसी का उफान
    सुंदर शब्द सयोंजन पत्रकारिता दिवस पर सार्थक लेखन

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    1. सादर आभार आदरणीय सर उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु.
      सादर

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  2. वाह!

    मान्य धारणाओं से इतर कविता विसंगतियों पर करारी चोट करती है। हरेक बंद में ओजस्वी आग्रह है परिवर्तन के लिए क्योंकि धारणाएँ और परंपराएँ समय के साथ अपनी परिभाषा में परिमार्जन करती रहतीं हैं। नई पीढ़ी में सोशल मीडिया के ज़रिये शीघ्रातिशीघ्र मशहूर हो जाने की अंतहीन लालसा है जिसकी ओर साफ़ संकेत नज़र आता है। समाज को आईना दिखाती रचनाएँ अपने संदेश को संप्रेषित करतीं अपना मार्ग स्वयं तय करतीं हैं।

    सार्थक सृजन तभी मर्म को छू सकता है जब उसमें कोई बड़ा संदेश निहित हो और समय के सच को परिभाषित करता हो।

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    1. सादर आभार आदरणीय सर सुंदर सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु.
      आपकी समीक्षा से संबल मिला. आशीर्वाद बनाए रखे.
      सादर

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 01 जून 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सादर आभार आदरणीय दीदी पाँच लिंकों पर स्थान देने हेतु.
      सादर

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  4. सुन्दर और सार्थक गीत प्रस्तुति।
    तम्बाकू निषेध दिवस की शुभकामनाएँ।

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    1. सादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु.
      सादर

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  5. सादर नमस्कार,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा मंगलवार (02-06-2020) को
    "हमारे देश में मजदूर की, किस्मत हुई खोटी" (चर्चा अंक-3720)
    पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है ।

    "मीना भारद्वाज"

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    1. सादर आभार आदरणीय मीना दी चर्चामंच पर स्थान देने हेतु.
      सादर

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  6. उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय सर मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु.
      सादर

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  7. वाह बहुत ही सुन्दर रचना सखी

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    1. सादर आभार आदरणीय दीदी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु.
      सादर

      हटाएं

  8. जगना नहीं जग को जगाने की प्रवृत्ति लिए
    बुद्धि की कतार में नाम दर्ज करवाना चाहते हैं।
    द्वेष घोलते परिवेश में शब्दों के महानायक
    प्रीत की नई परिभाषा गढ़ना चाहते हैं।

    क़लम में महत्त्वाकांक्षा की मसी का उफान
    विश्व का उद्धार एक पल में लिखना चाहते हैं।
    अतीत को पलटते ग़लतियाँ समझाते सबल
    वर्तमान को कुचलते भविष्य को नोचना चाहते हैं।
    बेहद खूबसूरत रचना

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    उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय दीदी मनोबल बढ़ाती सुंदर समीक्षा हेतु.
      सादर

      हटाएं
  9. बहुत सुन्दर"चौखट का उजाला दस्तूर से बुझाना चाहतें है"
    अद्भुत👌👌👌👌

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    1. सादर आभार आदरणीया उर्मिला दीदी मनोबल बढ़ाती सुंदर प्रतिक्रिया हेतु.
      सादर

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  10. मिटने की नहीं मिटाने की तत्परता से
    क्रांति का बिगुल क्रान्तिकारी बन बजाना चाहते हैं।
    बहुत सटीक....
    क़लम में महत्त्वाकांक्षा की मसी का उफान
    विश्व का उद्धार एक पल में लिखना चाहते हैं।
    अतीत को पलटते ग़लतियाँ समझाते सबल
    वर्तमान को कुचलते भविष्य को नोचना चाहते हैं।
    वाह!!!
    क्या बात.....समाज केकटु सत्य पर आधारित लाजवाब सृजन।

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    1. सादर आभार आदरणीय सुधा दीदी मनोबल बढ़ाती सारगर्भित समीक्षा हेतु. स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे.
      सादर

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  11. वाह बहुत सुंदर सार्थक सृजन बहना

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    1. सादर आभार आदरणीय सुधा दीदी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु.
      सादर

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