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रविवार, जनवरी 24

समर्पण



 दुआ बन निखरुँ जीवन में 

रोळी-मौळी-सी सजूँ।

हँसी बन बिखरुँ होठों पर

बाती-सी जल धीर धरुँ।


लोकगीतों का गुलदस्ता

मधुर धुन की बाड़ मढूँ ।

आँगन में छिड़कूँ प्रीत पुष्प

सोनलिया पद छाप गढ़ूँ।


अपलक हँसती आँखों को

नमी से कोसों  दूर रखूँ ।

बुझे मन पर दीप्ति बन

थार अँजुरियों में बन स्रोत झरुँ।


लजाए पग समर्पण के 

डगर पर हौले-हौले धरुँ।

लहराऊँ स्वच्छंद गगन में 

अहाते में नभ के तारे भरुँ।


@अनीता सैनी 'दीप्ति'

42 टिप्‍पणियां:

  1. शब्द-शब्द , भाव-भाव प्रखरता से दीप्त हो उठा है । नाम को सार्थक करते हुए । लहरा रहा है स्वच्छंद गगन में मद्धम-मद्धम .....अति सुन्दर ।

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    1. दिल से आभार प्रिय अत्यंत हर्ष हुआ आपकी प्रतिक्रिया मिली।
      मनोबल बढ़ाने हेतु हार्दिक आभार।
      सादर

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  2. उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
      सादर

      हटाएं
  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज रविवार 24 जनवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सांध्य दैनिक पर स्थान देने हेतु दिल से आभार आदरणीय दी।
      सादर

      हटाएं
  4. लजाए पग समर्पण के

    डगर पर हौले-हौले धरुँ।

    लहराऊँ स्वच्छंद गगन में

    पलट समय से एक बार कहूँ .. समर्पण के सुंदर भावों से सुशोभित मधुर गीत..

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    1. दिल से आभार आदरणीय जिज्ञासा दी।
      सादर

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  5. उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
      आभारी हूँ।
      सादर

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  6. आदरणीय / प्रिय,
    मेरे ब्लॉग "Varsha Singh" में आपका स्वागत है। मेरी पोस्ट दिनांक 24.01.2021 "गणतंत्र दिवस और काव्य के विविध रंग" में आपका काव्य भी शामिल हैं-

    httpp://varshasingh1.blogspot.com/2021/01/blog-post_24.html?m=0

    गणतंत्र दिवस की अग्रिम शुभकामनाओं सहित,
    सादर,
    - डॉ. वर्षा सिंह

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    1. सादर आभार आदरणीय वर्षा दी अपने ब्लॉग पर स्थान देने हेतु।
      सादर

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  7. बहुत सुन्दर और सशक्त रचना।
    राष्ट्रीय बालिका दिवस की बधाई हो।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
      सादर

      हटाएं
  8. लोकगीतों का गुलदस्ता
    मधुर धुन की बाड़ मढूँ ।
    आँगन में छिड़कूँ प्रीत पुष्प
    सोनलिया पद छाप गढ़ूँ।
    मंत्रमुग्ध हूँ.. निशब्द हूँ.. बेहतरीन व अनमोल सृजन ।

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    1. दिल से आभार प्रिय मीना दी आपकी प्रतिक्रिया मेरा संबल है।स्नेह आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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  9. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 25 जनवरी 2021 को 'शाख़ पर पुष्प-पत्ते इतरा रहे हैं' (चर्चा अंक-3957) पर भी होगी।--
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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    1. सादर आभार आदरणीय सर चर्चामंच पर स्थान देने हेतु।
      सादर

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  10. अपलक हँसती आँखों को

    नमी से कोसों दूर रखूँ ।

    बुझे मन पर दीप्ति बन

    थार अँजुरियों में बन स्रोत झरुँ। सुन्दर भावनाओं से मुग्ध करती रचना, अपना अलग ही असर छोड़ जाती है - - नमन सह।

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    1. आभारी हूँ आदरणीय सर आपकी साहित्यिक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई अत्यंत हर्ष हुआ।
      आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

      हटाएं
  11. उत्तर
    1. सादर आभार आदरणीय सर आपकी प्रतिक्रिया मेरा संबल है।
      आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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  12. मंत्री मुग्ध करता सृजन, प्रिय को समर्पित सुंदर भाव। आँगन में सोनलिया पद छाप वाह्ह् सुंदर असाधारण।
    बहुत सुंदर कोमल उद्गार ।
    स्नेही मुकेश जी को जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई देना प्रिय बहना।

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    1. दिल से आभार प्रिय दी अत्यंत हर्ष हुआ आपकी सराहना सम्पन्न साहित्य प्रतिक्रिया प्राप्त हुई।आपका स्नेह आशीर्वाद यों ही बना रहे।प्रिय के जन्मदिवस पर मिली आपकी अनमोल दुआ सहेजकर रखूंगी।
      आशीर्वाद बनाए रखे।
      सादर

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    2. ख़ामोशी बोल पड़ी इस रचना में मन में बिखेर गई उमंग ...दिल से आभार इस अपार प्रेम के लिए।
      आभारी हूँ आदरणीय कुसुम जी का उनका आशीर्वाद मिला।

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    3. प्रेम जब छलकता है
      चित्र कुछ उकेरता है
      मौन चाहे होंठ हो
      लेखनी से बोलता है।

      आज प्रिय अनिता की लेखनी बोल पड़ी है आपके लिए।
      एक बार पुनः शुभकामनाएं।🌷🌹🌷

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  13. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति अनीता जी ।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सर।
      सादर

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  14. भ7त सुंदर रचना, अनिता।

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय ज्योति बहन।
      सादर

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  15. बहुत सुंदर सृजन
    वाह

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    1. सादर आभार आदरणीय सर आपकी प्रतिक्रिया मिली अत्यंत हर्ष हुआ।
      मनोबल बढ़ाने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया।
      सादर

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  16. अति उत्तम, बहुत ही प्यारी सी कविता अनिता जी

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  17. सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुति।

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  18. अति मोहक सृजन..
    सादर नमन..

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